________________ ( 176 ) - नमित्तिक, कार्य उपादेय निमित्त कारण (1) जव बोलने को नैमित्तिक कहेगे | तव ज्ञान-राग मुंह निमित्त कारण (2) , मुंह हिलन, " ज्ञान-राग बोलना / / (3) राग काय, , , ज्ञान-बोलना मुह , , (4) , ज्ञान काय, , , , रागवालना मुह , , नोट-मुझ आत्मा या में बोलने मे आवे तब वहा पर ज्ञान-राग यह दो कार्यों को गिनना। - A. प्रश्न-में मुंह से बोला-इस वाक्य पर निमित्त की परिभाषा लगाकर वतामो? उत्तर-आत्मा का ज्ञान, राग, मह स्वय स्वत वोलने रूप परिणमित ना हो, परन्तु बोलने की उत्पत्ति मे अनुकूल होने का जिस पर आरोप मा सके / उस आत्मा का ज्ञान, राग और मुंह को निमित्त कारण कहते है। B प्रश्न १-आत्मा का ज्ञान, राग और बोलने के कारण मुंह खला-इस वाक्य पर निमित्त की परिभाषा लगाकर बताओ? उत्तर-आत्मा का ज्ञान, राग और बोलना स्वय स्वत मुंह खुलने रूप परिणमित ना हो, परन्तु मुंह खुलने की उत्पत्ति मे अनुकूल होने का जिस पर आरोप आ सके / उस आत्मा का ज्ञान, राग और बोलने को निमित्त कारण कहते है। C. प्रश्न १-ज्ञान, बोलने और मुंह खुलने के कारण राग हुआइस वाक्य पर निमित्त की परिभाषा लगाकर बताओ? उत्तर-ज्ञान, बोलना और मुंह खुलना स्वय स्वत राग रूप परिगमित न हो, परन्तु राग की उत्पत्ति मे अनुकूल होने का जिस पर