________________ ( 155 ) प्रश्न ६३-क्या केवलज्ञानियो को ही पारमार्थिक सुख है ? उत्तर-हाँ, केवलज्ञानियो को ही पारमार्थिक सुख है ऐसा ज्ञानी जानते है। प्रश्न ६४-फेवलज्ञानियों को ही पारमाथिक सुख है, ऐसा कहीं प्रवचनसार मे आया है ? उत्तर-गाथा 62 मे आया है कि --- सूणी घातिकर्म विहीन को सुख, वह सुख उत्कृष्ट है। श्रद्धे न वह अभव्य है अरु भव्य वह सम्मत करे // अर्थ-जिनके घातिकर्म नष्ट हो गये है। उनका मुख (सर्व) सुखो मे उत्कृष्ट है। यह सुनकर जो श्रद्धा नही करते, वे अभव्य हैं। और भव्य उसे स्वीकार करते हैं-उसकी श्रद्धा करते हैं / प्रश्न ६५-पारमार्थिक सुख की शुरुआत कौन से गुणस्थान से होती है ? उत्तर-चौथे गुणस्थान से पारमार्थिक सुख की शुरुआत होती है जिनको पारमार्थिक सुख की शुरुआत होती है। वह अल्पकाल मे ही मोक्ष को प्राप्त करते है। प्रश्न ६६-ज्ञानियो को सुख है और ज्ञान भी है। ऐसा कौन कहते हैं ? ___ उत्तर-जिन-जिनवर और जिनवरवृषभ कहते है। प्रश्न ६७-ज्ञा नियो को पारमार्थिक सुख है और ज्ञान भी है। ऐसा जानकर ज्ञानो क्या करते हैं ? उत्तर---अपने जायक स्वभाव मे विशेप स्थिरता करके अल्पकाल मे ही मोक्ष को प्राप्त करते है। प्रश्न ६८-ज्ञानियों को पारमार्थिक सुख है और ज्ञान भी है। अज्ञानियो को ना मुख है और ना ही ज्ञान है। ऐसा सम्यक्त्व के सन्मुख पात्र अज्ञानी सुनकर क्या करता है ?