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योग्यता का तीसरा अधिकार
प्रश्न १ - योग्यता किसे कहते हैं ? उत्तर - समर्थ उपादान शक्ति का नाम ही योग्यता है । प्रश्न २ - योग्यता के पर्यायवाची शब्द क्या है ?
उत्तर – समर्थ उपादान शक्ति कहो, भवितव्यता कहो, योग्यता कहो, एक ही बात है ।
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प्रश्न ३ - भवितव्यता अर्थात् योग्यता का व्युत्पत्ति अर्थ क्या है उत्तर- " भवितु योग्य भवितव्यम् तस्य भाव भवितव्यता" जो होने योग्य हो उसे भवितव्य कहते हैं और उसका भाव भवितव्यता कहलाती है। जिसे हम योग्यता कहते है उसी का दूसरा नाम भवितव्यता है ।
प्रश्न ४ – योग्यता को जानने से क्या-क्या लाभ हैं ?
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उत्तर- (१) प्रत्येक द्रव्य मे जो-जो परिणमन होता है । वह " उस समय पर्याय की योग्यता" के अनुसार ही हुआ है, हो रहा है, होता रहेगा । उसमे किसी दूसरे का जरा भी हस्तक्षप नही है । ( २ ) ऐसा जानने से परका मै कुछ करू या पर मेरा कुछ करे- ऐसा प्रश्न उपस्थित नही होता है । ( ३ ) क्रमबद्ध पर्याय की सिद्धि होती है । ( ४ ) करू करूँ की खोटी बुद्धि का अभाव होते ही सम्यग्दर्शनादि की प्राप्ति होकर क्रम से निर्वाण की प्राप्ति होती है ।
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प्रश्न ५ - 'कार्य योग्यतानुसार ही होता है' इसके लिए कुछ शास्त्र के प्रमाण दीजिये ?
उत्तर - (१) वैभाविक परिणमन निमित्त सापेक्ष होकर भी वह अपनी उस काल मे प्रगट होने वाली योग्यतानुसार ही है । अपनी योग्यतानुसार जीव ससारी है और अपनी योग्यतानुसार ही मुक्त होता है, (२) परिणमन का साधारण कारण काल द्रव्य होते हुए भी द्रव्य अपने उत्पाद-व्यय स्वभाव के कारण ही परिणमन करता है । काल