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पूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादान कारण १४वाँ गुणस्थान । ( ७ ) आत्मा का ज्ञान और शरीर की क्रिया इनमे कोई भी मोक्ष का कारण नही है । एक मात्र उस समय पर्याय की योग्यता मोक्ष क्षणिक उपादान कारण और मोक्ष हुआ यह कार्य ।
प्रश्न २०१ - तो 'ज्ञान क्रियाभ्याम् मोक्षः' ऐसा क्यों कहा जाता है ?
उत्तर - यहाँ पर ज्ञान अर्थात् सम्यग्ज्ञान और क्रिया अर्थात सम्यक चारित्र दोनो मिलकर मोक्ष जानो । शरीर आश्रित उपदेश, उपवासादिक क्रिया और शुभरागरूप व्यवहार को मोक्षमार्ग ना जानो यह बात बताई । और जो "ज्ञान क्रियाभ्याम् मोक्ष " का अर्थ ज्ञान और शरीर की क्रिया मोक्ष है ऐसा अर्थ करते है वह अर्थ झूठा है।
प्रश्न २०२ - आत्मा का ज्ञान और शरीर की क्रिया उपादान कारण और मोक्ष कार्य, यह इस सूत्र का अर्थ गलत क्यो है
?
उत्तर - 'ज्ञान क्रियाभ्याम् मोक्ष' का जो अर्थ शरीर की क्रिया और आत्मा का ज्ञान । ऐसा करते हैं उन्हें व्याकरण का भी ज्ञान नही है, क्योकि ज्ञान एक और शरीर की क्रिया यह अनन्त पुद्गल परमा
ओ की क्रिया हैं । "क्रियाभ्याम् द्विवचन है, यदि यहाँ पर 'भ्याम् ' के बदले मे तीसरी वहुवचन शब्द होता तो ठीक होता, परन्तु यहाँ पर 'भ्याम् ' है यह दो को बताता है । इसलिए जो ज्ञान और शरीर की क्रिया यह मोक्ष है ऐसा अर्थ करते है वह झूठे है । इसलिए पात्र जीवो को यहाँ पर ज्ञान का अर्थ सम्यग्ज्ञान और क्रिया का अर्थ सम्यक् चारित्र है तथा इन दोनो को मिलाकर मोक्ष जानो और शरीर की क्रिया को मोक्षमार्ग ना जानो, ऐसा ज्ञानियो का आदेश है ।
( दर्शनमोहनीय के अभाव से क्षायिक सम्यक्त्व हुआ इस वाक्य मे से ( १ ) क्षायिक सम्यक्त्व (२) दर्शनमोहनीय के अभाव