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( ६० ) होता और सब अजर अमर हैं नो मेग भी कभी नाश नहीं होता है । कभी उत्पन्न भी नहीं होता है इसलिए मैं अजर अमर भगवान हूं, गेमा पता चला। प्र० १. अस्तित्व गृगा को जानने में दूसरा लाभ क्या रहा ? उ० सात प्रकार के भयों का अभाव हो गया क्योंकि मैं कमी उत्पन्न
और नाश नहीं होता। प्र. ७. सात प्रकार के भय कौन कौन से हैं ? उ० (१) इस लोक का भय (२) परलो का भय (३) वेदना भय (४) परक्षा भय (५) अगुप्ति भय (६) मरण भय (७) प्राकस्मिक भय । प्र० ८. प्रस्तित्व गुगग जानने से तीसरा लाभ क्या रहा ? उ० अनादिकाल से मिथ्या दृष्टि को ईश्वर रक्षा करता है, बनाता है नाश करता है ऐसी बुद्धि थी। अस्तित्व गुगण को जानने से अब किसी का नाश उत्पन्नपना नहीं होता, भव अनादि अनन्त हैं तब ईश्वर रक्षा करता है, बनाता है. प्रौर नाग करने की खोटो बुद्धि का प्रभाव हो गया। प्र. ९. प्रस्तित्व गुग को जानने से चौथा लाभ क्या रहा ? उ० प्रनादि काल में दिगम्बर धर्म धागा करने पर भी वर्म बन ता है, कर्म रक्षा करता है, कर्म नाय करता है, "मी खोटी बुद्धि थी। अस्तित्व गुगा को जानने से जब किसी का बनना, रक्षा, नाश होता ही नहीं, सब अनादि अनन्त हैं तब कर्म बनाता है, रक्षा करता है और नाश करता है इस खोटी बुद्धि का प्रभाव हो या । H० १०. जिस समय आदिनाथ भगवान थे, उस समय तुम थे या नहीं ?