SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 95
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्र० ६६. द्रव्य गुरण पर्याय तीनों सत् हैं ? उ० उ० प्र० ६७. वर्तमान प्रज्ञान दूर लगता है ? उ० ( ७ ) अव्याबाध, अवागाहनत्व, प्रगुरुलघुत्व, सूक्ष्मत्व प्रादि प्रतिजीवी गुणों की प्रर्थं पर्यायें शुद्ध होती हैं । और उसी समय व्यंजन पर्याय शुद्ध होती है । एक समय । प्र० ६८. द्रव्य की भूतकाल की पर्यायों की संख्या अधिक है या भविष्य काल की पर्यायों की ? उ० द्रव्य गुण त्रिकाल सत् हैं । पर्याय एक समय का सत् है । होकर सच्चा ज्ञान होने में कितना समय То उ० प्र० ६६. ज्ञान गुण और दर्शन गुग्गा की पर्यायों के नाम बताओ ? १. मति श्रुत, प्रवधि, मनः पर्याय, केवलज्ञान. कुमति, कुश्रुत, कुप्रवत्रि पाठ पर्याय हैं । २. चक्षु, प्रचक्षु, प्रवधि, केवल यह दर्शन गुण की चार पर्यायें हैं । ७०. द्रव्य की भूत की पर्यायें प्रनन्त हैं भविष्य की पर्याय उनसे भी नन्न गुनी अधिक हैं । की शुद्ध चारित्र गुण पर्यायों के नाम बताओ ? १ - स्वरूपाचरण चारित्र २ - देश चारित्र ३ - सकल चारित्र ४- ययाख्यात चारित्र । प्र० ७१. चारित्र गुण का परिणमन कितने प्रकार का है ? उ० शुद्ध और अशुद्ध । अशुद्ध के दो भेद-शुभ और अशुभ हैं ।
SR No.010116
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages219
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy