________________ ( 201) (8 गति हेतुत्व-धर्म द्रव्य का विशेष गुण है / (6) पुण्य पाप का भाव-जीव द्रव्य के चारित्र गुण को विभाव-- अर्थ पर्याय है। (10) दुःख-जोव द्रव्य के सुख गुण की विभावप्रर्थ पर्याय है। (11 अवगाहनहेतुत्व-प्राकाश द्रव्य का विशेष गुण है। (12 उपवास का भाव-l जीव द्रव्य के चारित्र गुण की विभाव अर्थ पर्याय है / II उप 'माने समीप','वास'-रहना प्रात्मा के समीप रहना वह सच्चा उपवास है। III जहां कषाय, विषय तथा प्राहार का त्याग किया जाता है उसे उपवास कहते हैं। यह चारित्र गुण की स्वभाव अर्थ पर्याय है। (13) भक्तिपूजा का भाव-जीव द्रव्य के चारित्र गुण की विभावअर्थ पर्याय है। (14) नाचना-असमानजातीय द्रव्य पर्याय है। (15) सामग्री-सामानजाति द्रव्य पर्याय है। (16) 'दान' I पैसा आदि देना पुदगल द्रव्य की विभावअर्थ पर्याय हैं / II दान का भाव, चारित्र गुण की विभाव अर्थ पर्याय है। III सच्चादान वीर्य गुण की स्वभाव अर्थ पर्याय है। (17) कर्म-I द्रव्य कर्म II नोकर्म III भाव कर्म IV कर्म कारक V कर्म अर्थात् कार्य।