________________ ( 196) उ० (1) जीव को प्रथम अपने संयोगरूप शरीर का ज्ञान होता है अत: प्रथम नम्बर प्राहारवर्गणा रक्खी / (2) पश्चात शरीर के तेज का पता चलता है अत: दूसरा नम्बर तैजसवर्गणा रक्खी। (3) फिर दो तीन इन्द्रियों के भाषा प्रकट होती है अत: तीसरा नम्बर भाषावर्गणा रक्खी है। (4) मन मात्र संज्ञी जीवों के ही होता है मतः चौथा नम्बर मनोवर्गणा रक्खी है / (5) कार्मण शरीर को सूक्ष्मपने के कारण पांचवा नम्बर कार्मण वर्गणा का रक्सा। प्र० 75. प्राम हरे से पीला हो गया तो द्रव्य गुण पर्याय में से क्या बदला? उ. मात्र वर्ण गुण की पर्याय बदली। प्र० 76. किस 2 द्रव्य के टुकड़े हो सकते हैं ? उ० किसी द्रव्य के टुकड़े नहीं हो सकते हैं। प्र. 77. एक क्षेत्र में एक जाति के दो द्रव्य कभी न पावें ऐसे द्रव्य का क्या नाम है ? उ. काल द्रव्य / प्र० 78. अपना विशेष गुण प्रपने को निमित्त न बने ऐसे द्रव्य कौन है ? उ. धर्म और अधर्म द्रव्य हैं।