________________
( १५१ ) उ० प्रत्येक गुण के भाव में अन्तर होने से एक गुण दूसरे गुण में . .कुछ नहीं कर सकता है। प्र. १४. द्रव्य में विद्यमान अनंत गुण बिखर कर अलग २ नहीं होते
ऐसा क्यों है ? उ. प्रत्येक द्रव्य के गुणों का द्रव्य, क्षेत्र, काल एक होने से वह द्रव्य
से विखरकर अलग २ नहीं हो सकते हैं । प्रै० १५. (१) आदिनाथ भगवान ने दूसरे जीवों का कल्याण किया (२) मैं दूसरों का भला कर सकता हूँ (३) दिव्यध्वनि से ज्ञान की प्राप्ति होती है (४) नेमिनाथ भगवान ने राजुल का भला किया (५) धर्म द्रव्य हमको चलाता है (६) दर्शन मोहनीय के क्षय से क्षायिक सम्यक्त्व होता है (७) अन्तराय कर्म के क्षय से क्षायिक वीर्य प्रगट होता है (८) अांखों से ज्ञान प्राप्त होता है (8) श्रद्धा गुण स ज्ञान गुण में कार्य होता है (१०) चारित्र गुण से श्रद्धा में काम होता है (११) ग्राम मीठा हो तो रंग पीला होता है (१२) निमित्त से उपादान में कार्य होता है । प्रादि वाक्यों के मानने में क्या २ दोष आता है और ऐसा मानने से कोन २ से गुण को नहीं माना पौर कसा २ माने तो कौन २ से गुण को माना ? उ० (१) आदिनाथ भगवान ने दूसरे जीवों का भला किया
(I) आदिनाथ भगवान और दूसरे जीवों का द्रव्य, क्षेत्र,काल,
भाव पृथक २ हैं। यदि भगवान दूसरे जीवों का कुछ भला करें तो भगवान की सत्ता के प्रभाव का प्रसंग उपस्थित