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( १२७ ) करती हुई निरन्तर बदलतो है ऐमा द्रव्य का स्वभाव है। ऐसा जाने माने तो संसार का प्रभाव मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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प्र० ४३. मोक्षार्थी को क्या जानमा चाहिये ?
द्रव्यत्व गुण इस वस्तु को, जग में पलटता है सदा । लेकिन कभी भी द्रव्य तो तजता म लक्षण सम्पदा ।। स्वद्रव्य में मोक्षार्थी हो, स्वधीन सुख लो सर्वदा ।
हो नाश जिससे ग्राजतक की दु:खदायी भव कथा ।। प्र० ४४. वस्तु जग में पलटती है लेकिन घस्तु का नाश नहीं होता, तब
हम क्या करें। अपने द्रव्य में द प्टि करें तो तमाम दु:ख का अभाव होकर सम्यग्दर्शनादि पूर्वक मोक्ष के भागी बने ।
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