________________
पोर लक्ष्य करके पर में दृढ़ कर लेता है 'यह मैं' इसका नाम संसार है। (२) प्रात्मा ज्ञाता दृष्टा के उपयोग को जब स्व की ओर लक्ष्य करके स्व में दृढ़ कर लेता है 'यह मैं' इसका नाम मोक्ष है। प्र० १५. संसार का प्रभाव और मोक्ष की प्राप्ति के लिए क्या करें ? उ० अपनी प्रात्मा के आश्रय के बिना संसार का प्रभाव और मोक्ष की प्राप्ति नही हो सकती है । इसलिए अपने स्वभाव का आश्रय लें। प्र० १६. जिसको कुछ भी पता नहीं है, वह क्या करे, तो संसार का प्रभाव और मोक्ष की प्राप्ति का अवकाश हो । उ० (१) विश्व (२) द्रव्य (३) गुण (४) पर्याय (५) अस्तित्व आदि ६ सामान्य गुण और चार प्रभाव का पता चले तो कल्याण का अवकाश है । इसलिये इसमें क्रम से सबको प्रश्नोत्तर के रूप में लिखा जाता है। इन सबको जानकर, श्रद्धान कर, स्थिरता करे तो धर्म की शुरूआत वृद्धि और कम से पूर्णता होकर मोक्ष का नाथ बन जावे ।
-
-