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. (...१०० ) प्र० ५६. मेरा कभी नाग नहीं होता. ना कभी उत्पन्नपना होता है, कैसे
जाना ? उ.. . अस्तित्व गुण से जाना। . प्र० ५७. कोई ईश्वर को सृष्टि का कर्ता,रक्षा, नाश करने वाला कहे तो? उ० अस्तित्व गुगा को नहीं माना। . प्र. ५८. कोई कर्म को सृष्टि का कर्ता, रक्षा, नाग करने वाला कहे तो? उ० अस्तित्व गुगा को नहीं माना । प्र० ५६. अस्तित्व युग्ण रूपी है या अरूपी ? और क्यों ? उ० दोनों है। पुद्गल का अस्तित्व गण रूपी बाकी द्रव्यों का
अम्पी है। प्र० ६०. किन द्रव्यों का अस्तित्व गुगण गति करता है ? उ0 जीव और पुद्गल का । प्र० ६१. धर्म अधर्म आकाश और काल द्रव्यों का अस्तित्व गुण गति
क्यों नहीं करता है ? उ० धर्मादि द्रव्यों में क्रियावती शक्ति नाम का गुण न होने से
इसका अस्तित्व गुगण गति नहीं करता है। प्र० ६२. अस्तित्व गुगा को समझने से अन्य मत की किस किस मान्यता
का अभाव हो जाता है ? उ० (१) ईश्वर रक्षा, उत्पन्न, नाश करता है। (२) कर्म रक्षा, उत्पन्न, नाश करता है ऐसी अन्य मत की खोटो मान्यता का नाश हो जाता
प्र. ६३. अस्तित्व गुण किस द्रव्य में नहीं है ?