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( ९७ ) प्र. ३८. उत्पाद किसे कहते हैं ? उ० द्रव्य में नवीन पर्याय को उत्पत्ति को उत्पाद कहते हैं। प्र० ३६. व्यय किसे कहते हैं ?
पूर्ण पर्याय के नाश को व्यय कहते हैं। प्र० ४०. ध्रौव्य किसे कहते हैं ? उ० उत्पाद और व्यय में द्रव्य गुण का सहरतारूप स्थायी रहना
उसे ध्रौव्य कहते हैं। प्र० ४१. (१) कुम्हार ने घड़ा बनाया (२) बाई ने रोटी बनाई (३) कारीगर ने बैटरी बनाई (४) बाई ने अग्नि मे पानी गर्म किया (५) मैंने किताब बनाई (६) धर्म द्रव्य ने जीय पुद्गलों को ठहराया (७) केवलदर्शनावर्णी के अभाव से वे वलदर्शन हुअा (८) उसने गाली दी तो क्रोध प्राया (6) मैंने झाडू दी ग्रादि वाक्यों में से (१) घड़ा वना (२) रोटी (३) बैटरी बनी (४) पानी गर्म हुग्रा (५) किताब बनाई (६) जीव पुद्गल ठहरे (७) केवलदर्शन हुग्रा (८) क्रोध पाया (6) झाड़ दी। इनमें उत्पाद व्यय ध्रौव्य लगाकर यह बतायो इनमे पापको क्या लाभ रहा ? उ० (१) कुम्हार ने घड़ा बनाया-पिण्ड का प्रभाव, घड़े की उत्पत्ति, मिट्टी कायम रही। कुम्हार चाक उण्डे से बना इस खोटी मान्यता का अभाव हो गया।
इसी प्रकार ८ वाक्यों में लगायो। प्र० ४२. अस्तित्व गुगण की जाति कितने प्रकार की है ? उ० छह प्रकार की हैं क्योंकि विश्व में छह ही जाति के द्रव्य हैं ।