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जैन शिलालेख संग्रह
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[ इस ताम्रपत्रके प्रारम्भ में गंग वंशके राजाओंकी वंशावली इस प्रकार बतलायी है - कोंगणिवर्मा माधव - विष्णुवमंगोप - माधव अविनीत कोंगणिवृद्धराज - दुर्विनीत - मुष्कर कोंगणिवृद्धराज – श्रीविक्रम पृथिवोकोंगणिवृद्धराज श्रीवल्लभ पृथिवोकोंगणिवृद्धराज | श्रीवल्लभके बन्धु शिवकुमार अवनिमहेन्द्र पृथिवीकोंगणिवृद्धराजके शासनकालमे यह लेख लिखा गया था । पल्लवेल अरसने राजाकी अनुमतिसे केल्लिपुसूर् ग्रामका एक खेत बगीचा और कुछ जमीन एक जिनमन्दिरको दान दी उसका इस लेख मे निर्देश है । इसी समय गंजेनाड निवासी कण्णम्मन्ने भी कुछ खेत इस मन्दिरको अर्पण किये । मारुगोट्टेर ने एक बगीचा तथा ओरं कल्वाय्गर और सीम्पाल्वायुग ने कुछ खेत दान दिये । राजाने भी कुछ खेत दान दिये थे । इस जिनमन्दिरके अधिष्ठाता चन्द्रसेनाचार्य थे । ] [ ए०रि० मं० १९२५ पृ० ९० ]
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२५-२६-२७
कोनकोण्डल ( अनन्तपुर, आन्ध्र )
७वीं सदी,
[ ये तीन लेख रसासिद्धुलगुड नामक पहाडीपर पाषाणोंपर खुदे है । इनमें निम्नलिखित नाम उत्कीर्ण है -
१ सिंगनन्दिवन्दितन्
२ श्री उरिगपसिण्डि
३ श्रीसूलाकोमरन्
इनकी लिपि ७वी सदीकी है । ]
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कन्नड
[रि० स० ए० १९४०-४१ क्र० ४५४-५५-५६ पृ० १२६ ]