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रत्नगिरि भादिके लेख
रत्नगिरि ( कटक, उड़ीसा)
संस्कृत, ७वीं सदी [ इस लेखमे ७वीं सदीकी लिपिमें एक जिनालयका उल्लेख है । लेख खण्डित है।
[रि० इ० ए० १९५४-५५ क्र० ४४८ पृ० ६७ ]
पेनिकेलपाडु ( कडप्पा, आन्ध्र )
संस्कृत-तेलुगु, ७वीं सदो
[ इस लेखमें वृषभ नामक जन आचार्यको प्रशंसा की गयी है। उन्हें भव्यरूपी फसलके लिए मेघके समान तथा वाद-विवादमें पर्वतके समान दृढ कहा है। इस स्थानको अब संन्यासिगुण्डु कहा जाता है। लिपि ७वीं सदीकी है।]
[रि० सा० ए० १९४०-४१ क्र० ४०१ पृ० १२० ]
कोंगरपुलियंगुलम् ( मद्रास )
वट्टेलुत्तुलिपि, ७वीं सदी ( एक जैनमूर्तिके नोचे - ) श्रीअज्जणन्दि
[यहाँसे ३८वें लेख तक ९ लेखोंका समय लिपिके आधारपर कहा है।
[रि० सा० ए० १९१० पृ० ५७ क्र० ५४ ]