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परिशिष्ट (७) शिवमन्दिर, नीडूर (जि. तंजोर, मद्रास )
तमिल - सन् १६ [ यह लेख कुलोत्तुंग चोलके राज्यके ४६वें वर्षमें लिखा गया था। इसमें कण्डन् माधवन्-द्वारा शोमवाररिवार (गणपति) देवका मन्दिर बनवाने का निर्देश है। यह माधवन् कुलत्तूर स्थानका शासक था जहां अमिदसागर ( अमृतसागर ) मुनिने कारिंग ( याप्परुंगलक्कारिंग) नामक छन्दःशास्त्र तमिल भाषामे लिखा था। इस रचनाके लिए जिनने प्रेरणा की वे सज्जन माधवनके चाचा (अथवा ससुर) थे।
इस छन्दःशास्त्रमे ४४ कारिकाएं है तथा उरुप्पियल, शेय्युलियल् एवं ओलिबियल ये तीन प्रकरण है । इसपर गुणसागरने टोका लिखी है।]
[ए० ई० १८ पृ० ६४ ] (८) कमलापुर और हंपोके बीच
कृष्णमन्दिरके समीप एक मण्डपमें
शक १३३२ = सन् १४१०, कमर [ यह लेख मधुर नामक जैन कविने लिखा है जो वाजि कुलमे उत्पन्न हुमा था। लेखमें देवरायके मन्त्री लक्ष्मीधर-द्वारा महागणनाथ ( शिव) को स्थापनाका वर्णन है। मधुरने धर्मनायपुराण तथा गुम्मटाष्टक लिखा है। यह हरिहररायके मन्त्री मुद्ददण्डेश्वरका आश्रित था। इस लेख में लक्ष्मीधर-द्वारा मधुरको हाथी, घोड़े, रत्न, जमीन आदि दान देनेका उल्लेख है।]
[इ० ए० ५५, १९२६ पृ० ७७ ] (6) गोकर्ण ( उत्तर कनडा)
१५वीं सदी, कसड [ इस लेखमें महाबलेश्वर मन्दिरमें अनसन तथा अन्यपूजाके लिए कुछ