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जैनशिलालेख संग्रह दान दिये जानेका उल्लेख है। दानको रक्षाके लिए कहे गये शापात्मक वर्णनमें गैरसोप्पेकी हिरियबस्तिके चण्डोन पार्श्वनाथका भी उल्लेख है।]
[रि० सा० ए० १९३९-४० ई० ० १०८ पृ. २३७ ] (१०) बोराम्बुधि ताम्रपत्र ( मैसूर )
शक १४८६ = सन् १५६७, कन्नड [ जिनशासनको प्रशंसासे इस ताम्रपत्रका प्रारम्भ होता है । कुलोत्तुंग विक्रमरायके पुत्र चंगालराय-द्वारा भारद्वाजगोत्रके ब्राह्मण नरसीभट्टको वीराम्बुधि नामक ग्राम दान दिये जानेका इसमें उल्लेख है । दानकी तिथि माव शु० १०, शक १४८९, सर्वजित् संवत्सर ऐसी दी है । ]
[ए. रि० मै० १९२५ पृ० ९३ ]