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गिरनारका लेख
॥ जसुतारूडीगांगीप्रभृती
|| नाथप्रासादा कारिता प्राताष्ट
॥
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द्रसूरि तत्पट्टे श्रीमुनिसिंह
'कल्याणत्रय
........
अनुवाद:- स्वस्ति श्री धृति ......श्री नेमिनाथको नमस्कार...
... वर्ष ...... फाल्गुन सुदी ५, बृहस्पतिवार, श्री महाराज और......
श्री महीपाल, "के तिलक फाऊ नामकी वयरसिंहकी भार्या; उसका पुत्र माननीय ...उसके पुत्र माननीय साईआ और मेलामेला ... उसकी पुत्रियाँ रूडी, गांगी इत्यादि । इन सबने एक नेमिनाथका मन्दिर बनवाया जिसकी प्रतिष्ठा ... • द्रसूरि के पट्टपर विराजमान श्रीमुनिसिंहने की ............कल्याणत्रय... |
[ ASI, XVI, p. 353 - 354, n° 11
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सूदी ( जिला - धारवाड़ ) - संस्कृत और कन्नड़ ।
शक सं. ८६० = ९३८ ई०
लेख
पहला ताम्रपत्र
१ श्रीविभाति सुवि (धी ) यस्य निरवद्य [T] निरत् (यू ) अया तस्मै नमोऽर्हते
२ लोक-हित-धर्मोपदेशिने ॥ जित [ - ] भगवता [गत ] - घनग[ग]नाभे-
३ न पद्मनाभेन [ ॥] श्रीमजाह्नवीय कुला[म] यो मावभासन
भास्करः ॥