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मथुराके लेख २. पुषस्य वधुये गिह "[ कुटिबिनि ] ... [पुष] दिन [स्य ] [ मातु] ....य
अनुवाद-४७ वें वर्ष की प्रीष्मऋतुके २ रे महीनेके २० दिन, वरण ( वारण) गण, पेतिवमिक (प्रैनियमिक) कुलके वाचक और ओह. नदि (ओधनन्दि) के शिष्य सेनकी प्रार्थनापर पुष (पुष्य) श्रावककी बहु, गिहकी गृहिणी, पुषदिन (पुष्पदत्त) की माँ,... · की तरफसे [यह समर्पित किया गया ] |
[EL, 1, n° XLIV. n* 30]
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मथुरा-'प्राकृत-मन्न ।
[काल लुप्त, संभवतः वर्ष ४७] १. सिद्धम् । महाराजस्य राजातिराजस्य ....... २. ओहनन्दिस्य शिष्येण से "न...f - 2
अनुवाद-सिद्धि हो। महाराज, राजातिराज......ओहनन्दि (भोघ. नन्दि) के शिष्य सेनने.........
LE!, II. 1. NIV. n° :7
मथुरा-संस्कृन ।
[हुविष्क वर्ष ४७] दानं देविलस्य दधिकर्णदेविकुलकस्य मं ४ ० ७ गृ० ४ दिवसे २९
अनुवाद-४७ वें वर्षकी ग्रीष्म ऋतु के चौथे महीनेके २९ वें दिन, दधिकर्ण मन्दिर (या चैत्यालय) के पुजारी (या माली) देघिलका दान ।
[1A, XXXIII, p. 102-103, p. 13 ] १ सेनेन' पढ़ो।