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॥ श्री
॥
ग्रन्थ-सशोधन
पृष्ठ
पक्ति
अशुद्ध
प्रारम्भ १७
मुक्ति का वेही
भक्ति का से ही
५६
प्रारम्भ
तक
६२६ ७१ २४ ७२ १७ ८४१ ८५ ५ ६१ २१ ६७ प्रारम्भ ६७ ६
१३
तको इस स श्वभ्रया जनमुनियो के केई विमेषय
६ अधक वा० सा०
इस सब श्वभ्राया जैन मुनियो केई विषय मे
अधिक चा० सा०
१००
१०१
प्रारम्भ
आपु
आयु
पचवर्ष
११६ १६ ११६ प्रारम्भ १२४ टिप्पणी १२५ १४ १२६ प्रारम्भ १२६ २ १२७७
पचवर्ष मूलाधार
मूलाचार १० मेटने
भेटने
आपवासर
माश्वास २