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तत्वार्थ श्लोकवार्तिक की हिन्दी टीका का अवलोकन
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श्रीमदुमास्वामी विरचित तत्वार्थ सूत्र पर संस्कृत मे 'रचे अनेक भाष्य और टीकायें है। उनमें से आचार्य श्री विद्यानदिस्वामी विरचित श्लोकवार्तिक का भी एक विशिष्ट स्थान है । इसी तत्वार्थ सूत्र पर सर्वार्थसिद्धि और राजवार्तिक भाष्य भी बडे महत्व के हैं । और वे श्लोकवार्तिक से भी पहिले के रचे हुये है । उनकी हिंदी टीकायें तो न केवल आधुनिक विद्वानो द्वारा किन्तु पुराने विद्वानो द्वारा पहिले ही बन चुकी थी। लेकिन जहाँ तक मेरा ख्याल है श्लोकवार्तिक की हिंदी टीका का निर्माण अभी तक किसी भी विद्वान् ने नहीं किया था । इस कमी का हम घरावर अनुभव करते आ रहे थे। हर्ष की बात है कि वह कमी भी अब पूरी होगई है । इस ग्रन्थ की हिंदी टीका विद्ववर्य, न्यायाचार्य श्री पडित माणिकचन्द्रजी कोदेय ने की है। जैसा यह महत्वशाली ग्रन्थ है सौभाग्य से इसके हिन्दी टीकाकार भी तदनुरूप ही मिले है । इन न्यायाचार्यजी का विद्वदुमडली मे उच्चकोटि का स्थान है । दि० जैन समाज मे आप एक आदरणीय, प्रतिमा सम्पन्न, प्रतिष्ठित विद्वान् माने जाते है । ऐसे ग्रन्थ की हिंदी टीका आप जैसे अधिकारी विद्वान् ही बना