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४१ नंदीश्वर द्वीप में ५२ जिनालय
प्रत्येक वर्ष मे तीन बार आष्टाह्निक पर्व आता है। इसको जैन शास्त्रो मे "महापर्व" माना है। और इस अनाद्यनिधन महापर्व का बडा माहात्म्य वर्णन किया है, (आदिपुराण पर्व ३८ एलोक ३२–आप्टाह्निको मह सार्वजनिको रूढ एव स. 1 धवला पुस्तक १ पृष्ठ २६ जिन महिम सबद्ध कालोऽपि मगलं यथा-नदीश्वर दिवसादि। तिलोयपण्णत्ती अधिकार १ गाथा २६ जिण महिमा सम्बन्ध णदीसर दीव पहुदीओ।) जैनधर्म की बहुत सी प्राचीन कथाओ मे इस पर्व का उल्लेख मिलता है । कथा ग्रन्थो के अलावा करणानुयोगी ग्रन्थो मे भी कथन आता है कि इस धार्मिक पर्व मे देवगण भी नदीश्वर द्वीप मे जाकर वहा के अकृत्रिम ५२ जिनालयो मे बडी भक्तिभाव से भगवान् अहंत की आठ दिन तक पूजास्तुति करते हैं।
इन ५२ जिनालयो का स्थान कहा पर फिस तरह है ? और उनकी ५२ सख्या किस प्रकार होती है । इस विषय मे साधारण जन तो क्या ‘पण्डित' कहलाने वाले भी भूल करते दिखाई देते हैं। इसलिये इच्छा हुई कि इस सम्बन्ध मे यथार्थ परिज्ञान कराया जाये।
जवूद्वीप से ८ वे नदीश्वर द्वीप के ठीक बीच मे पूर्व दिशा