________________
जैन धर्म श्रेष्ठ क्यो है ? ]
अब यह देखना है कि वह धर्म कौनसा है जिसकी नीति कामक्रोधादि बुरे भावो के हटाने की हो आज हम आपके सामने एक ऐसी ही किस्म के मजहब का हाल बत ते है जिसका बाहरी परिचय हमारे कितने ही भाइयों को है, पर वे उसके अन्तस्तत्व से बहुत ही कम जानकारी रखते है, और इसीलिए जिसके कितने ही उपयोगी सिद्धात उलटपलट भी समझ लिये गये हैं।
वह मत है "जैनमत' । यह निःसन्देह कहा जा सकता है कि इस मत की नीति को देखते हुए ससाभर मे यही एक ऐसा भत है जिसके आश्रय से बहुत कुछ सासारिक संकटो से बचाव हो सकता है।
उत्तम आदर्श किसी मत की उत्तमता को देखने के लिए सबसे पहले .. उसमे यह होना जरूरी है कि वह दुखी जीवो के दुख को दूर
करने के लिये कोई उत्तम आदर्श रखता हो। ऊपर जिस दुख । का जिक्र किया गया है उसे मेटने के भरपूर साधन जनमत मे पाये जाते हैं जैनधर्म की रगरग मे इन काम लोधादि के दूर करने की आपको शिक्षा मिलेगी, उस मत की मूर्तियो को देखिए वे कितनी शात निविकार और वीतराग है, जिनके दर्शन करने से ही दर्शको के दिल मे एकवारगी हो शान्ति-धारा बह निकलती है, यही कारण है जो मूर्ति पूजा को भी जैनधर्म जैसे वैज्ञानिक धर्म मे दाखिल किया गया है। जो लोग मूर्तिपूजा का विरोध करते हैं, उनका वह विरोध चाहे दूसरे धर्मों के लिये किसी तरह ठीक हो सकता है किन्तु जैनधर्म जिस मतलव को लेकर मूर्ति पूजा की इजाजत देता है उसके प्रति आक्षेप की गुञ्जाइम ही नहीं है।