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अमरकोष के कर्त्ता अमरसिंह किस धर्म के मानने वाले थे यह आज मी निश्चय रूप से नही कहा जा सकता, यद्यपि ऐतिहासिको का रावजी सखाराम दोशी के अनुसार पूत्रं दो श्लोक प्राचीन प्रतियो मे २ नम श्री शान्तिनाथाय ...."
बहुमत उम्हे बौद्ध मानता है । स्व यस्य ज्ञान वाले श्लोक से
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१ जिनम्य लोक त्रयवन्दितस्य' और थे जिन्हे धार्मिक असहिष्णुता के कारण निकाल दिया गया । इस में से श्लोक संख्या १ तो गद्य चिन्तामणि का मंगलाचरण है किन्तु २ का श्लोक कहरे का है अभी भी शायद अज्ञात हो है । इस ही प्रकार 'सर्व झोवीतरागो" .." वाला श्लोक भी मुद्रित प्रतियो मे नही है जबकि हस्तलिखित कई प्रतियो मे वह मिलता है, कोषकार ने जिनेन्द्र वाची नाम अपने कोष मे न दिये हो यह बात मानी निष्पक्ष ऐतिहासिकों को इस सम्बन्ध मे ओर भी प्रस्तुत करनी चाहिये ।
अजैन साहित्य मे जैन उल्लेख
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Ultras
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नही जा सकती । अनुसधान कर सचाई