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कतिपय ग्रन्थकारों का समय निर्णय ]
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हम विक्रम की ११ वीं शती बता आये हैं, के काल मे शतकत्रय के कर्ता भर्तृहरि के होने की सभावना नहीं है ।।
हेमचन्द्र ने योगशास्त्र (श्वेताबर) लिखा है ज्ञानार्णव और योगणास्त्र के बहुत से स्थल एक समान मिलते है। दोनों मे पहिले कौन हुआ? यह प्रश्न बराबर चला आरहा था। हेमचन्द्र का समय निश्चित है कि वे वि से १२२६ तक जीवित ये। इसलिये अब यह सिद्ध हुआ कि ज्ञानार्णव से करीब डेढ सौ वर्प बाद योगशास्त्र बना है।
आचार्य अमतचन्द्र अमृतचन्द्रकृत पुरुषार्थसिद्ध्युपायके कितनेही पद्यजयसेनके धर्मरत्नाकरमे पाये जाते हैं। धर्मरत्नाकर का रचनाकाल वि स १०५५ है। अत पुरुषार्थसिद्ध्युपाय के रचनासमय की इसे उत्तरावधि समझनी चाहिये । अर्थात् पुरुषार्थसिद्ध्युपाय ग्रन्थ वि स १०५५ से पहिले बना है, बाद मे नही। कितने पहले बना है । इस पर जब विचार किया जाता है तो पट्टावली में अमृतचन्द्र के पट्टारोहण का समय वि सं ६६२ दिया है वह ठीक जान पडता है इससे उनका अस्तित्व अधिकतया विक्रम की ११ वी शती के एक दो दशक तक कहा जा सकता है। यही समय यशस्तिलक के कर्ता सोमदेव का है। दोनो समकालीन हैं।
पद्मनंदी हम जिन पदमनंदी के समय पर विचार कर रहे हैं वे हैं "पद्मनदिपचविंशतिका" मन्थके कर्ता पद्मनदी। इस ग्रन्थके "अध्र वाशरणे" आदि २ पद्य जिनमे १२ अनुप्रेक्षाओ के नाम