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क्या पउमचरिय दिगम्बर ग्रन्थ है ]
[ २७३ जो मुझे इसकी छानबीनमे ज्ञात हुये हैं उनमेसे भी एक दो यहां लिख देता हू
दिगम्बर सप्रदायके मामूली शास्त्रज्ञ भी यह जानतेहै कि तीर्थकर प्रकृतिकी कारणभूत भावना.१६ होती है जिसे षोडशकारण भावनाके नामसे बोलते है और यही पदुमचरितमे लिखा है किन्तु पउमचरिय उसकी २० भावना लिखी है । यथा'चीस जिणकारणाइ भावेओ' पर्व २ गाथा ८२ ।
इसी तरह जहा पद्मचरितमे सुमेरु और सौधर्मके वीच बालाग्न मात्र अतर वत्तलाया है वहा पउमचरियमे सौधर्मको मेरुकी चूलिकासे स्पशित बताया गया है । यथा‘रालाग्रमानविवरास्पष्टसौधर्मभूमिक।'
पद्मचरित पर्व ३ श्लोक ॥३४॥ 'उरि च चूलियाए सोहम्म चेव फुसमाणो ।'
पउमचरिय पर्व ३ गाथा २४ यहांतक तो दिगम्बर मान्यता के प्रतिकूल जो भी कयन ऊपर पउमचरियमेसे निकालकर बताया गया है उसे एक तरह से मामूली कहना चाहिये । दिगम्बर श्वेताम्बरमे जो केवलीमुक्ति स्त्रीमुक्ति और साधुको वस्त्रपानादि रखनेका खास भेद है वह पउमचरियमे मिलना चाहिये। इसके लिये मैंने खूब ढूढ खोज की, आखिर मुझे ऐसा कथन भी मिलगया। केवलीमुक्ति और स्त्रीमुक्तिका कथन तो कही न मिला किन्तु मुनिके वस्त्रपात्रादि
x श्वेतावरोके मावश्यक सूत्रादि ग्रन्थोमे भी २० भावना लिखी हैं।