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क्या 'पउमचरिय' दिगम्बर ग्रंथ है ?
विमलसूरिकृत प्राकृत पद्योमे एक 'पउमचरिय' नामका ग्रथ है। जिसे १८ वर्ष पहिले 'जैनधर्म प्रसारक सभा भावनगर' ने छपाया था और जिसका सशोधन प्रोफेसर हर्मनजेकोवी जर्मन ने किया था । यह ग्रन्थ ११८ पर्वो मे विभक्त है जिसमे मुख्यतया रामरावण की कथा है एक तरहसे इसे प्राकृत जैन रामायण कहना चाहिये। ग्रन्थ के अतमे उसका निर्माण समय इस प्रकार लिखा है
पचेव य वाससया दुसमाए तीसवरिससजुत्ता। वीरे सिद्धिमुवगए तओ निबद्ध इम चरियं ॥१०३॥
इस गाथापरसे ऐतिहासिक विद्वान इसे वीर निर्वाण संवत ५३० ( विक्रम संवत ६०) मे बना बताते हैं। इससे यह ग्रथ बहुत ही प्राचीन मालूम होता है। समग्र जैन संप्रदाय मे इतना प्राचीन कथा ग्रथ अभी कोई उपलब्ध न हुआ होगा। इस अथ के कर्ता अपना परिचय प्रथात मे इस प्रकार देते है
राहू नामायरियो ससमयपरसमयगहियसभावो विजओ य तस्स सीसो नाइलकुलवंसन दियरो॥११७॥