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पं० टोडरमलजी का जन्मकाल तथा उनकी एक और साहित्यिक रचना
प्राचीन हिन्दी गद्य के साहित्यकारो मे पडित प्रवर टोडरमलजी साहब का नाम सर्वोपरि है । यदि वे गोम्मटसारादि सिद्धात ग्रन्थो की वचनिका नही बनाते तो आज के जिज्ञासुओ को इतनी विशदता से सैद्धांतिक ज्ञान का लाभ नही होता । टीका ग्रन्थो के अतिरिक्त "मोक्षमार्ग प्रकाशक" जैसा हिन्दी मे अपूर्व स्वतन्त्र ग्रन्थ लिखकर तो आप अपना नाम ही अमर कर गये हैं ।
आपके देहान्त की दुखद घटना विस १८२४ के लगभग घटी है । इस घटना का वर्णन कवि बखतरामजी साह कृत “बुद्धि विलास” नाम ग्रन्थ मे मिलता है । बखतरामजी मूलत चाटसू के निवासी थे। तदुपरात वे सवाई जयपुर मे रहने लगे थे
आदि चाटसू नगर के वासी तिनिको जान । हाल सवाई जयनगर माहि बसे है आन ॥
उन्होने बुद्धि विलास को वि० स०
१८२७ मे पूर्ण क्रिय