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प्रतिष्ठा-तिलक के कर्ता ने मचन्द्र का समय ]
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सदी किस आधार से लिखा है ? आपने कुछ और भी न थकारों का समय यद्वातद्वा लिख दिया है। जैसे कि आपने भैरवपदमावतोकल्प आदि मत्रशास्त्रो के कर्ता मल्लिषेण का समय १३ वी शती लिखा है । यह बिल्कुल गलत है। इन मल्लिपेण ने महापुराण की रचना वि० सं०-११०४ मे पूर्ण की है । अतः ये ११ वी सदी के अत व १२ वी सदी के प्रारम्भ मे हये है। इसी तरह आपने वाग्भट्रालंकार के टीकाकार वादिराज को तोडानगर के राजा मानसिंह का मत्री और उनका समय वि० स-१४०६ लिखा है। यह भी ठीक नही है । उक्त वादिराजमानसिंह के नहीं रायसिंह के मत्री थे और उनका समय वि० की १० वी का पूर्वार्द्ध था। इन वादिराज के बडे भाई जगन्नाथ कवि भी बड़े विद्वान थे, जिन्होने चतुर्विशतिसधान, सुखनिधान और श्वेतांबरपराजय आदि अनेक ग्रंथ रचे थे। इन तीनो ग्रथो की प्रशस्तिये वीरसेवामन्दिर दिल्ली से प्रकाशित प्रशस्तिसग्रह के प्रथम भाग में छपी है। सुखनिधान ग्रथ में विदेहक्षेत्रीय श्रीपाल चक्रवति का कथानक है। यह कथा आदिपुराण मे जयकुमार के पूर्वभवो मे आई है। इस ग्रथ की रचना इन जगन्नाथ कवि ने मकलचन्द्र, सकलकीति (ये सकलकीर्ति प्रसिद्ध सकलकीर्ति से जुदे है) और पद्मकीर्ति आदिको की प्रेरणा से मालपुरा गांव मे को थी। ये खडेलवाल जैन सोगाणी गोत्रके थे, शाह पोमराज के पुत्र थे ओर भ० नरेन्द्रकीति के शिष्य थे। उक्त पद्म कीति-सकलकीति का समय भट्टारकसप्रदाय पुस्तक के पृ. -२०८ पर १८ की शती का प्रथन चरण लिखा है। यही समय वादिराज और जगन्नाथ का है। डा० नेभिचन्द्रजी शास्त्री ने शायद उक्त सकलकीति को १५ वी शती मे होने वाले प्रसिद्ध सकलकीति समझकर वादिराजकृत वाग्भट्टालंकार का टीकाकाल वि० स-१४२६ लिख