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आर्यिका का केशलोच ]
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आर्यिका से दीक्षा ली । उसी भानुदत्त के ७ पुत्रो ने चोरी का काम करते हुये विरक्त होकर वरधर्म मुनि से दीक्षा ली । तब ही उनकी स्त्रियो ने जिनदत्ता आर्यिका से दीक्षा ली ।
(७) श्रीकृष्ण की पटरानी गाधारी के पूर्व महेंद्रविक्रम ने चारण मुनि से दीक्षा ली । तब ही सुरूपाने सुभद्रा आर्यिका से दीक्षा ली ।
भव मे राजा उसकी रानी
(८) श्रीकृष्ण की पटरानी पद्मावती के पूर्व भव मे राजा मेघनाद ने धर्म मुनि से दीक्षा ली। तब ही उसकी रानी' विमलश्री ने पद्मावती आर्यिका से दीक्षा ली ।
(६) पाडवो के पूर्व भव मे सोमदत्त आदि ब्राह्मणो ने वरुणाचार्य से दीक्षा ली । तबहो उनकी स्त्रियो मे से दो ने गुणवती आर्यिका से दीक्षा ली ।
(१०) पाडवो ने नेमिनाथ से दीक्षा ली । कुती, सुभद्रा, द्रौपदी ने राजमति से दीक्षा ली ।
(११) जीवधर ने महावीर से दीक्षा ली। उस की रानी ने चदना आर्यिका से दीक्षा ली ।
इन उदाहरणो से स्पष्ट सिद्ध होता है कि जिस प्रकार आर्थिक से कोई मुनि दीक्षा नही लेता था । उसी प्रकार आर्थिका की दीक्षा भी किसी मुनि के पास मे नही ली जाती थी। ऐसा ही कुछ आचार शास्त्री का नियम मालूम होता है । अगर ऐसा नियम न होता तो ऊपर लिखी कथाओ के उदाहरणो मे पतियो ने जिस वक्त जिन मुनियो से दीक्षा ली, तब ही उनकी पत्नियो का उन मुनियो से दीक्षा न लेकर अन्य आर्थिकाओ से दीक्षा लेने का कथन क्यो आता ?