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राजा थेणिक या विम्बसार का आयुप्य काल ] [ ११३
ने सूचित नहीं किया है किन्तु कवि अशग ने महावीर चरित सर्ग १७ श्लोक १२५-१२६ मे भव नाम दिया है। हरिपेण कथाकोश की कथा न० ६७ मे तथा श्रीघर के अपभ्रंश वर्द्धमाने चरित आदि मे भी भव दिया है लेकिन यह नाम नही है द को पर्यायवाची शब्द है देखो धनजय नाममाला श्लोक ७० अथवा अमरकोप ।
यह कथा श्रुतसागर ने मोक्ष पाहुड गाथा ४६ की टीका मे भी 'इसी तरह लिखी है । ब्र० नेमिदत्त ने भी आराधना कथा कोश मे लिखी है।
इस प्रकार उत्तरपुराण की कथाओ के ये उद्धरण ऐसे है जिनसे हम राजा श्रेणिक की आयु का अदाजा लगा सकते है। श्रेणिक को देश निकाला होने पर उसने जो देशातर मे एक ब्राह्मण कन्या से विवाह किया था और उससे अभयकुमार पुत्र हुआ था उस समय श्रेणिक की उम्र कम से कम १८ वर्ष की तो होगी ही। आगे चल कर इसी अभयकुमार के प्रयत्न से श्रेणिक का चेलना के साथ विवाह हुआ है ऐसा कथा मे कहा है । तो चेलना के विवाह के वक्त अभयकुमार की आयु भी १८ वर्ष से तो क्या कम होगी ? इसी प्रकार यहाँ तक यानी चेलना के विवाह के वक्त तक श्रेणिक की उम्र करीब ३६ वर्ष की सिद्ध होती है। उसी से कथा मे लिखा है कि श्रेणिक की आयु ढल जाने के कारण ही राजा चेटक अपनी पुत्री चेलना को श्रेणिक को देना नहीं चाहता था । अब आगे चलिये- चेलना की बहिन ज्येष्ठा को श्रेणिक की प्राप्ति न हुई तो वह दीक्षा ले आयिका हो गई । इसी आर्यिका के सत्यकी मुनि के सयोग से सत्यकि पुत्र (रुद्र) उत्पन्न हुआ है । बेलना की विवाह के बाद सत्यको