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गजा श्रेणिक या विम्बसार का आयुष्य काल ] [ १०७
सका। इमी एक कारण से विरक्त हो ज्येष्ठा ने अपनी मामी मशस्वती आर्यिका से दीक्षा ले ली थी और वह आर्यिका हो गई थी। (श्लोक ३ से ३४ तक) . ___ उत्तरपुराण पर्व ७६ श्लोक ३१ आदि मे लिखा है किश्रेणिक ने महावीर के समवशरण, मे जा वहाँ गौतमगणधर से पूछा कि-"अन्तिम केवली कौन होगा ?" इस पर गौतम ने कहा कि वह यहाँ समवशरण मे आया हुआ विद्युन्माली देव है जो आज से 3 दिन बाद जम्बू नाम का सेठ पुत्र होगा। जिस समय महावीर मोक्ष पधारेंगे उस समय मुझे केवलज्ञान होगा और मैं मुधम गंगधर के साथ विचरता हुआ इसी विपुलाचल पर आऊंगा। उस वक्त इस नगर का राजा, चेलना का पुत्र कुणिक परिवार के साथ- मेगी. वदना को आवेगा। तभी जम्बूकुमार भी मेरे पास. आ दीक्षा लेने को उत्सुक होवेगा। उस वक 7 उसके भाई वन्धु उसे यह कह कर रोक देगे कि-योडे हो वर्षों में हम लोग भी तुम्हारे ही साथ दीक्षा धारण करेगे। वन्धु लोगो के इस कथन को वह टाल नही सकेगा और वह उस समय नगर मे वापिस चला जावेगा। तदनतर परिवार के लोग उसे मोह में फर्साने के लिए चार सेठो की चार पुत्रियों के साथ उसका विवाह रचे देंगे। इतने पर भी जम्बूकुमारं भोगानुरागी न हो कर उल्टे दीक्षा लेने को उद्यमी होगा। यह देख उसके भाई बन्धु और कुणिक राजा (श्लोक २१३) उसको दीक्षोत्सव मनायेंगे। Hamr} २ . __ _
उत्तर पुराण के अनुसार श्रेणिक के पिता का नाम भी कुणिर्क है और पुत्र का नाम भी कुणिक हैं।' '
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