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गाविन्द तू. जगत्तुंग प्रभूतवर्ष का पुत्र एवं उत्तराधिकारी, कृष्ण द्वि. अकालवर्ष का पिता, सेनगण के आचार्य जिनसेन स्वामी का गृहस्थ शिष्य, गुरुयों, विद्वानों, साहित्यकारों एवं कवियों का प्रश्रयदाता, प्रश्नोत्तर - रत्नमालिका (संस्कृत) एवं कविराजमार्ग (कन्नड) का रचयिता । उसके परिवार के कई सदस्य, अनेक सामन्त एवं अधिकारीगण भी जैन थे। उसके शासनकाल में जैनधर्मं खूब फला-फूला, जैन माहित्य का सृजन भी प्रभूत हुआ । अपने युग का महान एवं प्रतापी नरेश । [ भाइ. २९९-३०४; प्रमुख. १०१-१०६ ]
२. राष्ट्रकूट अमोघवर्ष द्वि. (९२२-२५ ई०), इन्द्र तृ. का पुत्र एव उत्तराधिकारी था, कुलपरंपरानुसार जैन था, अनुज गोविन्द च. के पडयन्त्र का शिकार हुआ। [ भाइ ३०६ ]
३. अमोघवर्ष तु बद्दिग ( ९३६-३९ ई०), अमोघवर्ष द्वि. और गोfore w. का चचा था, गोविन्द को गद्दी से उतारकर स्वयं राजा बना, शान्तिप्रिय जैन नरेश था, पुत्री रेवा ( दीवालम्बा ) का गंगनरेश भूतुगद्वि से विवाह कर दिया था, कृष्ण तु. का पिता था। [ भाइ ३०६-३०७ ] अमोलकचन्द सिरका - दीवान नोनदराम के पुर राज्य के दीवान रहे । अमोलकचन्द पारीख- कलकत्ता निवासी ने १८८७ ई० मे जर्मन प्राच्यविद डा० होर्नले को 'उबासगदसाओ' की हस्तलिखित प्रति भेंट की थी । [ टंक ]
पुत्र, स्वयं १८२५-२९ ई० मे जय[ प्रमुख. ३४४ ]
अमलोकचन्द श्रीमाल - महिमवाल गोत्री रामलाल के पुत्र, खेतड़ी राज्य के पर. म्परागत मन्त्री, झुंझनू मे १९१५ ई० मे स्वर्गवास हुआ। इनके भाई सोभालाल भी राज्य के मन्त्री रहे । [टंक. ]
अमोलकराम राओ बहादुर - खुर्जा (जि. बुलन्दशहर, उ. प्र.) के प्रसिद्ध दिन.
जैन सेठ, एक अनाथालय की स्थापना के लिए ४०,००० ० प्रदान किये। इनके सुपुत्र सेठ मेवालाल ( रानीवाला) भी धर्मात्मा, शास्त्रज्ञ और दानी सज्जन थे ।
[टक ]
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष
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