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अमितते- १.२४ पौराणिक कामदेवों में से हिलीय।।
२.वीरवर हनुमान का एक अपरनाम। दे. हनुमान । अमितम्य मानायक-बपरनाम अमृतवडावीश या अमृत बभूनाथ, होयसल नरेश
बल्लाल दि का महाप्रधान, सर्वाधिकारी, मामूषणाध्यक्ष और वीर सेनानी, सामन्त चट्टयनायक (चेट्टिसेट्टि) का पौत्र, नयकीर्ति पडितदेव का गृहस्थ शिष्य। अपने जन्मस्थान लोक्कुगुण्डी में एक भव्य जिनालय एवं विशाल सरोवर निर्माण कराये, सत्र, अग्रहार और प्रपा स्थापित किये, ब्राह्मणों के लिए प्रथक अग्रहार बनाया और अमृतेश्वर शिव का मन्दिर भी बनवाया। उसके जिनमन्दिर का नाम एकक्कोटि जिनालय प्रसिद्ध हुआ, ती. शान्तिनाथ उसके मूलनायक थे। इस मन्दिर बादि के लिए उसने १२०५ ई० में, अपने परिवार, भाइयों, नायकों, नागरिकों एवं कृषक प्रजाजनों की उपस्थिति में भारी धर्मोत्सव किया तथा प्रभूत दानादि दिये -दे. अमृत दण्डनाय। [प्रमुख.
१५९-१६०; जैशिसं. iii. ४५२; एक. vi. ३६] अमितसागर- तमिल देश के १०वीं शती ई. के प्रसिद्ध जैन वैयाकरणी, जिनके
शिष्य दयापाल मुनि ने शाकटायन-व्याकरण की रूपसिद्धि नामक
टीका रची थी। अमितसिंह भूरि- आंचलगच्छी मुनि जिनके उपदेश से चित्तौड़ के रावल समर
सिंह (१२६५ ई.) ने राज्य में जीवहिंसा बन्द करा दी थी।
[प्रमुख. २५३] अमितसेन- पुनाटसपी, हरिबंश पुराण (७८३ ई.) के कर्ता जिनसेन सूरि
के गुरु कोतिषेण के कनिष्ट राधर्मा, शतजीवि, पवित्र पुनाटगणा
ग्रणी। [हरि. पु.] ममित्रघात- मगध के जैन मौर्य सम्राट बिन्दुसार (ई० पू० २९८-२७३) का
विशेषण। [प्रमुख. ४४] अभिवसागर- दे. अमृतसागर। [जैशिसं. iv. पृ. ३९१] अमियचम्म- दे. अमृतचन्द्र । ममोघवर्ष- १. दक्षिणापथ का जनधर्मावलम्बी राष्ट्रकूट सम्राट नृपतुंग शर्व
वमं पृथ्वीवल्लभ अतिशयधवल अमोघवर्ष प्र. (८१५-७७ १.),
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष