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मभयेन्दु
अभिचन्द्र
अभिनन्द देव
३. मूल संघ-सेनगण को पट्टावली में न० १८ पर उल्लिखित अभयसेन, जो सिंहसेन के शिष्य और भीमसेन के गुरु थे -संभव है न० २ से अभिन्न हों।
४. उसी पट्टावली में न० ६१ पर उल्लिखित अभमसेन जो हेमसेन के शिष्य और लक्ष्मीभद्र के गुरु थे ।
दे. अभयचन्द्र
जैनपुराण- प्रसिद्ध १४ कुलकरों (मनुओं) में से दसवें कुलकर । ११५० ई० के बमनि शि. ले. को उत्कीर्ण करने वाले जैन शिल्पी गोव्योजन या गोलोज के गुरु, दिग. मुनिराज । [जैशिसं iii. ३३४; एई. iii. २८ ]
अभिनन्दन नाथ- चतुर्थ तीर्थंकर, इक्ष्वाकुवंशी, जन्मस्थान अयोध्या, पिता स्वयंवर, जननी सिद्धार्था ।
अभिनन्दन भट्ट - वर्धमान मुनि के श्रावकस्तोत्र ( १५४२ ई० ) में अभिनन्दित पार्श्वदेव तथा बोम्मरस नामक धर्मात्मा श्रावकों का पिता । [प्रसं. १३५ ]
अभिनवन मट्टार प्र. - कनकनन्दि भटार के शिष्य और अभिमंडल भटार के गुरु, तमिलदेश के मदुरा तालुके मे प्राप्त विशाल महावीर प्रतिमा के पादपीठ पर उत्कीर्ण लेख, ल ७वीं शती ई, में उल्लिखित आचार्य । [ देसाई ५९; जैशिसं. iv ३३-३८ ]
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अभिनन्दन महार हि.- उपरोक्त प्रतिमा के प्रतिष्ठाता, तथा अभिनन्दन भटार प्र. के शिष्य । [ वही . ] - अपरनाम अभिमंडल भटार या अरिमंडल भटार ।
afone- १०७७ ई० के शि. ले में द्रविडसंघ- नन्दिगण - अहंगलान्वय के प्राचीन गुरुओं मे पूज्यपाद, कविपरमेष्ठि आदि के साथ उल्लिखित दिग. आचार्य । [जैशिसं.ji. २१३; एक.viii नागर ३५ ] अभिनन्द पंडितदेव उन आर्यिका नानम्बेकन्ति के गुरु, जिनकी गृहस्थ शिष्या गंगनरेश भूतुग की भगिनी राजकुमारी पाम्बब्बे थी यह राजकुमारी मी आर्यिका बन गई और ९७१ ई० में उसने समाधिमरण किया था। [मेजं १५७ ]
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष