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अजयचन्द्र
२९: ममचन्द्र, जिनका उल्लेख, अभवनन्दि के साथ, सुमति सागर रचित बृहत् षोडशकारण- पूजा में, तथा कारंजा से प्राप्त, १६०२ ई० के. इन्हीं सुमतिसागर के चिन्तामणि पार्श्वनाथ प्रतिमालेख में हुआ है । [ शोधांक- ४८; प्रवी. . ६३ ] ३०. अभयचन्द्र, जिनका उल्लेख लक्ष्मीचन्द्र के शिष्य, अभयनंदि गुरु और रत्नकीर्ति के परम्परागुरु के रूप में, रत्नकीर्ति के शिष्य भ. कुमुदचन्द्र की हिन्दी रचना ऋषभ - विवाहला (१५५१ ई०) में हुआ है । [शोषांक- ४८ ]
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३२. भट्टारक कुमुदचन्द्र के शिष्य एवं पट्टधर भ. अभयचन्द्र ( १६२८ - १६६४ ई०), सूरत के नन्दिसंघीपट्ट से सम्बद्ध, बड़े विद्वान एवं प्रभावक सन्त थे, देवजी ब्रह्मचारी आदि उनके अनेक शिष्य थे। [ प्रभावक. २०६ -२०७]
दिग. जैन, हिन्दी कवि, भक्तामर चरित् और दशलक्षण व्रतकथा के लेखक । [टंक ]
अभयचन्द्र- जिसने घनरूप व मनरूप के सहयोग से प्रतापगढ़ नरेश महारावल सामंतसिंह के राज्य में, १७५१ ई० में, भ. आदिनाथ का भव्य जिनालय बनवाया था। [कंच. ३५ ]
श्वे. श्रावक, सोमक का पुत्र, सिन्धदेशस्थ मामनपुर का निवासी, खरतरगच्छी जयसागर उपाध्याय के निर्देशन में, १४२६ ई० में tent के लिये तीर्थ-यात्रा संघ ले गया था। [ टंक. ] असयच - विक्रमादित्य-चरित्र (१४३३ ई०) के लेखक रामचन्द्र के गुरु |
[टक ]
अजयचन्द्र
३१. अभयेन्दु या अभयचन्द्र वाक्पति-वादिवेताल, जिनका उल्लेख महापुराण (१०४७ ई०) आदि अनेक ग्रन्थों के रचयिता दिग. मल्लिषेणसूरि ने अपने सरस्वती - (भारती - ) कल्प में किया हैइस कल्प का ज्ञान उन्होंने इन अभयचन्द्र से प्राप्त किया था । [प्रवी. ९७ ]
अजयचन्द्र सूरि- राजकुलगच्छी का तथा उनके शिष्य अमलचन्द्र का उल्लेख ल. ८५४ ई० के एक शि. ले. में हुआ है । [ टंक ; एवं.. १२० ]
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष
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