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उदयदे
उदयधर्म-
उदयन
विजयदेव आदि इन्हीं की परम्परा में हुए। [ प्रमुख ९३ बेसाई. ३५९ मे. ४१-४२; शिसं . ११३]
पं० आशावर के भक्त खंडेलवालभावक हरदेव के धर्मास्या अनुज । [ जैसा. १४१; प्रमुख. २१२]
१. श्वे. १४५० ई० में वाक्यप्रकाश नामक व्याकरण शास्त्र की रचना की थी ।
२ उदयमणि श्वे. ते १५४४ ई० में उपदेशमाला की ५१ वी कथा पर शास्त्रार्थवृत्ति, तथा १५५३ ई० में शान्तिसूरिकृत जीवविचार की वृत्ति लिखी थीं।
१. महावीर कालीन कौशाम्बी नरेश वत्सराज शतानीक का पुत्र एवं उत्तराधिकारी, चेटक पुत्री सती मृगावती का नन्दन, प्रद्योतता वासवदत्ता का प्रेमी, गजविद्याविशारद, प्रसिद्ध दोषा वादक, कलारसिक, धीर वीर जिनभक्त नरेश वो अनेक प्राचीन लोककथाओं का नायक है। [प्रमुख. ११]
२. उदयन या उदायन, महावीर कालीन तथा महावीर भक्त नरेश जो राजधानी वीतभयपट्टन से सिन्धु-सौवीर देश पर राज्य करता था, जिसकी रानी चेटक दुहिता प्रभावती थी, पुत्र अमोचिकुमार था राजा, रानी, राजकुमार तीनों ने अन्ततः जिनदीक्षा ले सी बी । [प्रमुख. १२-१३]
३. गुजरात के सोलंकी नरेशों, जयसिंह सिद्धराज (१०९४११४३ ई०) तथा कुमारपाल ( ११४३-७३ ई०) का प्रसिद्ध जैन राज्यमन्त्री तथा बीर सेनानी । उसके चारों पुत्र, नाहर, बाहड, अम्बद और सोल्ला भी राज्य के मन्त्री और प्रचंड सेनानायक थे । मन्त्रीराज उदयन ने ही सोरठ के राजा बेंगार को पराजित किया, जयसिंह को पीलुक्य चक्रवर्ती विरुद दिलाया था और कर्णावती में मध्य जिनालय निर्माण कराके उसमें ७२ बहुमूल्य मूर्तियां प्रतिष्ठापित की थीं। वह चिरकाल संभात का राज्यपाल भी रहा था। [प्रमुख. २३१; भाइ २०७; गुच. २५८, २६०, २६४-२७६; कंच. २१३-२१४] उदयनवि- देवगढ़ (जि० ललितपुर, उ० प्र०) के मंदिर न० २० के शि० ले में उल्लिखित दिग० मुनि साथ में त्रिभुवनचन्द्र, कनकऐतिहासिक व्यक्तिकोश
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