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उदयण
१२७८ ई० में, अन्य लोगों के सहयोग से श्रवणबेलगोल की भण्डारि-वसदि के देवर बल्लभदेव की पूजाभिषेक के लिए अर्थसंग्रह कराया था। [जैशिसं . १३७]
५. इवे, ल० १८वीं शती में संस्कृत में पाण्डित्यदर्पण नामक ग्रंथ लिखा था। [च. १५७]
६. खजुराहो के प्रसिद्ध विनमंदिर निर्माता गृहपतिवंशी पाहिल्ल श्रेष्ठि का पौत्र, और साहु साल्हे (११५८ ई०) का एक पुत्र [जैशिसं. iii. ३४३; प्रमुख. २२७ ]
७. श्वे. खरतरगच्छी साधु ने बीकानेर में, १६७१ ई० में, अनूप-रसाल तथा बीकानेर-गजल राजस्थानी हिन्दी में रची थीं। ८. शास्त्र सारसमुच्चय-टीका (१२६० ई०) के कर्ता माघनंदि के प्रगुरु दे. उदयेन्दु ।
९. मूलसंघ- बलात्कारगण के कुमुदचन्द्र के प्रशिष्य, वासुपूज्य के शिष्य और त्रिभुवनदेव के गुरु उदयचन्द्र, ल० ११७५ ई० । [देसाई. ११७]
१०. गुजरात के जयसिंह सिद्धराज (१०९४-११४३ ई०) से सम्मानित विद्वान श्वे. साधु, आचार्य हेमचन्द्र के शिष्य या सहयोगी । [ प्रमुख. २३१]
११. गावरवाड के १०७०-७१ ६० के शि. ले में उल्लिखित अणिगेरे की प्राचीन गंगपेम्मांड बसदि के व्यवस्थापक सकलचन्द्र के गुरु मूलसंधी उदयचन्द्र । [ जैशिसं. iv. १५४] विष्णुवर्द्धन होयसल के स्नेहपात्र बालवीर जैन दण्डाविनाथ विष्णु का अग्रज, और राज्यमंत्री विश्वराज एवं चंचले का पुत्र, एक वीर जैन सेनानी । [ प्रमुख. १४५; मेजं. १३८ ]
उदयदेव पण्डित - देवगण के पूज्यपाद आचार्य अकलंकदेव के गृही शिष्य और बातापो के चालुक्य नरेश विनयादित्य ( ६८०-६९८ ) के राजगुरु free पंडित के शिष्य एवं उत्तराधिकारी थे, और चालुक्य विजयादित्य द्वि. (६९७-७३३ ई०) के राजगुरु थे । उक्त नरेश इन्हें ७०० ई० ( या ७२९ ई० में) में लक्ष्मेश्वर के शख-जिनालय के लिए कर्दमग्राम दान दिया था। जयदेव, रामदेव,
ऐतिहासिक व्यक्तिकोश
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