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माशानाच - अजमेर निवासी बोहिथ के पुत्र ने चाट के जिनालय में, १६०४ ई० में, मानस्तंभ बनवाया था। [ कैच ८२] माशावरसूरि - दे. माशावर परवर्ती कतिपय उल्लेखों में प्राप्त नामरूप । [प्रवी.. ९ ] आशानन्दी दिग, संस्कृत पंचपरमेष्ठि-पाठ के रचयिता ।
आशामल----
दिल्ली की शाही कमरियट के अधिकारी, धर्मात्मा श्रावक, जिनने १७४३ ई० में मस्जिद-खजूर मोहल्ले के पंचायतो जैन मन्दिर का निर्माण कराया था। [ प्रमुख. २८४ ]
माशा शाहू या शाह आशा, उकेशवशीय दरडागोत्री ओसवाल, जिसके पुत्र anushee ने १४५६ ई० में, आबू पर्वत पर देवमूत्तियां प्रतिष्ठापित की थी। [ प्रमुख. २४७ ]
आशाशाह देवरा - मेवाड़ राज्य में कुम्भलमेर का जैनदुर्गपाल, जिसने राणा सांगा के बालक पुत्र उदर्यासह को अपने आश्रय में लेकर शत्रुओं से उसको रक्षा की और अन्त में सिंहासन प्राप्त करने मे उसकी सहायता की थी- आशाशाह को वीर जननी इस कार्य में प्रेरक एव सहायक थी ल० १५४० ई० । [ प्रमुख. २५७; भाइ. ४५० ]
गुजरात के बोलुक्य जयसिंह सिद्धराज का प्रधानमन्त्री, परम जैन, इसकी प्रेरणा से महाराज ने ११२३ ई० में शत्रुंजय की यात्रा को थी । fer. कुमुदचन्द्र और श्वे. देवसूरि का शास्त्रार्थ इसी मन्त्री के समय में हुआ था। [ गुच. २५८- २५९ ]
भावडा कटकराज वोर जैन सेनापति, संभवतया गुजरात के ल० १२वीं शती, अनलदेवी के पति, जासह ओर कवि आसड के पिता । [टंक. ]
बाधादसेन -- अहिच्छत्र (उत्तर पांचाल) नरेश शौनकायन के प्रपौत्र, बंगपाल और रानी तेवणी के पौत्र, राजा भागवत और बेहिदरी रानी के पुत्र, महाराज आषाढ़सेन ने अपने भागिनेय, गोपालीपुत्र, राजा बृहस्पतिमित्र की राजधानी कौशाम्बी के निकटस्थ छठे तीर्थंकर पद्मप्रभु की तप एवं केवलशान भूमि प्रभासगिरि (पभोसा) पर काश्यपीय अर्हतो (निर्ग्रन्थ जैन मुनियों) के लिए गुफाएँ निर्माण कराई थीं -ल० द्वितीय प्रथम शती ईसापूर्व में । [ प्रमुख. ६०; जैशिसं. ॥ ६-७; एवं ॥ पृ. २४२-२४३]
ऐतिहासिक व्यक्तिकोश
आशुक
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