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मानव-
माना
बानेग-
आपिशल - सोमदेवसूरि द्वारा यशस्तिलकचम्पू ( ९५९ ई० ) में उल्लिखित
एक प्राचीन वैयाकरणी ।
बाबाजी मनसाली- जामनगर के जामसाहिब का जैनमन्त्री, आ. होरविजयसूरिका भक्त, ल० १५९५ ई० । [ कैच. २१० ]
हलवा पट्टन का एक स्वपुरुषार्थी प्रसिद्ध जैन जौहरी, जो हेमचन्द्राचार्य का भक्त था, और जर्यासह सिद्धराज (१०९४११४३ ई०) के हाथ एक अति मूल्यवान रत्न बेचकर राजा द्वारा सम्मानित हुआ था। उसने कई जिनमन्दिर बनवाये, जैन साधुओं की सेवा-संरक्षण में उत्साही, घमंत्रचार में योग देता बा । [टंक. ]
आमड
आमदेव
एक चौलुक्य राजा, जिसे हर्षपुरीयमलधारोगच्छ के श्रीचन्द्रसूरि के शिष्य मुनिचन्द्र ने जैनधर्म में दीक्षित किया था, ११वीं शती । [टंक. ]
गदहिया गोत्री श्रावक साह आना ने अपनी पत्नी भीमनी के पुण्यार्थ १४११ ई० में उपकेशगच्छी देवगुप्तसूरि से शान्तिनाथबिम्ब प्रतिष्ठा कराई थी । [ कैच. ९७ ]
१. हैहयवंशी अय्यण के वंशज जिनधर्मी नरेश आनेग प्र० 'बिरुकभीम' ने, जो गुलबर्गा प्रदेश का शासक था, चालुक्य विक्रमादित्य षष्ठ का सामन्त था और द्रविड़ संघ-सेनगण के भ. मल्लिसेन के अग्रशिष्य भ. इन्द्रसेन का गृहस्थ शिष्य था, १०९४ ई० में एक अति भव्य जिनालय बनवाकर उसके लिए स्वगुरु को प्रभूत दान दिया था। [ देसाई. २१४. २३६-२४०]
२. इसीवंश का आनंग द्वि., एक अन्य जैन नरेश जो बाच का पुत्र, लोक तृ. का पिता था, गजविद्या-विशारद प्रसिद्ध वौर था । [देसाई. २१५ ]
मामा
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बरवाल दिग. श्रावक, मूलसंघी गुणभद्रसूरि के शिष्य और लाटी भाषा ( गुजराती ? ) मे त्रिभंगीसार टीका के रचयिता सोमदेव के पिता, वैर्जेणि के पति । [ प्रवी. i. २१]
१. खंभात के चिन्तामणि- पाश्र्वनाथ मंदिर के प्रतिष्ठापक शांभदेव साहू (१२९५ ई०) के भाई तथा उक्त प्रतिष्ठोत्सव में सहयोगी । [ जैसाई. ५७४ ]
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष