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आचले
आचाम्बा-- दे आचलदेवी न० १
आचाम्बिके-- अरसादित्य नामक राजा की पत्नी और पम्पराज, हरिराज तथा होयसल नरेश के परम जैन मन्त्रीश्वर बलदेव की जननी, और कटक-कुल- तिलक माचिराज की पितामही । [ जैशिसं.. ३५१ ] आचियक्कन या आचियक्के दे. आचलदेवी नं० १
कई ग्राम स्वगुरु मुनि बालचन्द्र को दान कराये थे। उसने और भी कई जिनमन्दिर बनवाये तथा अनेक धार्मिक एवं लोकोपकारी कार्य किये । [ प्रमुख. १६०; जैशिसं. 1. १०७, १२४, ४२६; शोधांक- २८ ]
२. उपरोक्त आपलदेवी की बुआ, जो मासबाडिनरेश हेम्माडि देव से विवाही थी - परमश्रावक शिवेयनायक की यह पुत्री भी परम जैन थी। [जैशिमं i. १२४]
३. चालुक्य जगदेकमल्ल के सामन्त कदम्बवशी तेल मंडलेश की धर्मात्मा रानी, ११४८ ई० [ जैशिसं. iv. २३६ ] दे. आचलदेवी नं० १
आच्चन श्रीपालन - वीं शती के शि. ले. मे उल्लिखित गुणसेन के शिष्य अनतवन का भतीजा । [ जंशिसं. iv. ३३-३८]
बाजाहो
१५वीं शती ई० के ग्वालियर निवासी तथा अपभ्रन्श भाषा क महाकवि रघु ने अपने सम्मद्दजिणचरिउ की रचना जिस हिसार निवासी धनी व्यापारी एवं धर्मात्मा श्रावक साहू तोमड के प्रश्रय में की थी, उसकी इस धर्मात्मा पत्नी ने स्वयं भी गोपाचल दुगं में एक विशाल चन्द्रप्रभ-प्रतिमा प्रतिष्ठापित कराई थी। [ अने. ४० / २, पृ. २२ ]
माटेकचन्द नोगामी - ने सागवाड़ा के महारावल जशवन्तसिंह से १८३६ ई० में जीवमा निषेधक फर्मान निकलवाया था। [ प्रमुख. ३४५] आढतराम - दिग. जैन कवि पं० वृन्दावनदास ( ल० १८०० ई०) के मित्र, काशी निवासी धार्मिक सज्जन [टक. ] कवि-रचित गाथा, त्रिभुवनतिलक मन्दिर व उसके संस्थापक शावड के विषय में, बेहार (म. प्र. ) के स्तंभलेख मे । [ जैशिस iv. ३०२ ]
मानंदराम - दिल्ली निवासी धर्मात्मा श्रावक, जिनके देहरा (जिनालय) मे
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष
आणदेव
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