________________
शिष्या क्षुल्लिका बिसने १४७४ ई. में कलिकुंड-यन्त्र की प्रतिष्ठा
कराई थी। [नाहटा. ४९] नागमतिरि बाई- आर्यिका जिनकी १४०५ ई. में बिजोलिया में निषिधिका
(समाधिस्मारक) बनवायी गयी थी। [कंच. ७८] पाचोर- शिलाहार नरेश विजयादित्य के जैन सेनापति कालण (१९६५
ई.) का प्रपितामह । [जैशिसं. iv. २५९] भाषण- उपरोक्त आचगोड के वंशंज, कालण का पुत्र, जिन्नण और रमण
का भाई [जैशिसं. iv २५९] भाषणकपि-दिग.. पुरिकरनिवासी ब्राह्मण केशवराज एवं मल्लम्बिका का
पुत्र, नन्दि योगीश्वर का शिष्य, पाचपंडित द्वारा पाश्र्वगण (११८९ ई०) में उल्लेखित, स्वयं ने अग्गल का उल्लेख किया है। पिता केशवराज के अधूरे कन्नडी वर्षमानपुराण को पूर्ण
किया था ११९५ ई० में। ककच.; टंक.] भाचण्णसेनबोब- एरम्बरगेय नगर का उच्च राजस्व अधिकारी, दिग., जिसके
पुत्र देवण ने, जो देशीगण-पुस्तकगच्छ-इंग्लेश्वरबलि के माधवचन्द्र भट्टारक का रहस्य शिष्य था, सिद्धचक्र एवं श्रुतपंचमी व्रतों के उद्यापन के उपलक्ष्य में पंचपरमेष्टि की प्रतिमा प्रतिष्ठापित
कराई थी, १२वीं शती ई० में। [देसाई. ३८२] माधम चामुगार मट्टारक- ने विजयण्ण एव बमण्ण द्वारा निर्मित शान्तिनाथ
प्रतिमा वरुणग्राम (मैसूर) में १०वीं शती ई० में प्रतिष्ठापित
की थी। [जैशिस. iv. १०१] माचलदेवी- १. आचले, आचाम्बा या आचियक्कन, होयसल नरेश वीर
बल्लाल द्वि. के मन्त्रीश्वर चन्द्रमौलि की परमजिनभक्त भार्या थी। वह मासवाडिनार के प्रमुख शिवेयनायक एवं चन्दब्बे की पौत्री, सोवण्ण नायक एवं बाचम्बे की पुत्री और नायक सोम की भगिनी थी, और देशीगण के नयकीति सिद्धान्तदेव के शिष्य बालचन्द्र मुनि को गृहस्थ शिष्या थी । इस रूप-गुण-शील सम्पन्न धर्मात्मा महिलारत्न ने ११८२६० में श्रवणबेलगोल में मक्कनबसदि नामक अति भव्य पार्व-जिनालय निर्माण कराया था, जो होयसल कला का अबशिष्ट अति उस्कृष्ट नमूना माना जाता है। उसके लिए उसने तथा उसके पति चन्द्रमौलि ने होयसलनरेश से
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष