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________________ ( ३१२ ) स्वामी-पूजा", कमलनयन प्रगीत 'श्री पंच-कल्याणक-पूजा-पाठ नामक पूजा रचनाओं में घंटा बाद्य व्यवहत है। बीसवीं शती के कवि कं जिलाल' और जवाहरदास द्वारा पूजाकाव्य में घंटा नामक वाद्ययंत्र का प्रयोग उल्लेखनीय है। बंग- चंग एक साल बादय है। यह एक गोलाकार तथा एक ओर से मड़ा हुमा वाच्य है जो होली के अवसर पर बहुतशः बजाया जाता है । इसका एक ओर बकरे की खाल से मढ़ा होता है। यह रस्सी से मढ़ा जाता है। लेही से ऊपर खाल चिपका दी जाती है। इसे कंधे पर रखकर बनाया जाता है । इसे दाहिने हाथ से पकड़ कर उसी से चिमटी मारते है और बाएं हाथ से बजाते हैं । इस बाय पर धमाले गीत प्रायः चलते हैं । इस का प्रिय ताल 'कहरवा' है। चंगड़ी बंग से छोटी होती है। चंग का प्रयोग भारतीय लोक-जीवन में प्रचुर प्रचलित है। बारहमासों में विशेष रूप से फाल्गुण और चेत्र मासों में इसका उल्लेख हुआ है। जैन-हिन्दी-पूजा-काव्य में बीसवीं शती में यह वाद्य मुहचंग नाम से १. धननं घननं धन घंट बजे । दृमदं दृमदं मिरदंग सजे॥ -श्री महावीरस्वामीपूजा, वृदावन, राजेशनित्य पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ १३७ । २. चन्द्रोपक चामर घंटा तोरन घने । झल्लरि ताल कंसाल करन उप सब बने । -श्री पंचकल्याणक पूजापाठ, कमलनयन, हस्तलिखित । ३. देवन घर घंटा बाजे, माड़ शंखादिक गाजे । इन्द्रासन हूँ कम्पाये, प्रगटे महरा- ---जा जी ॥ सुखिया अतुल बलधारी, जनमे जिनरा ---जा जी।। --श्री भगवान महावीर स्वामी पूजा, जिलाल, नित्यनियमविशेष पूजन संग्रह, पृष्ठ ४४। ४. दम दम दमता बजे मृदंग । घन घन मंट बजे मुहचंग ॥ -~श्रीअपसमुच्चयलधपूजा, जवाहरवास, बृहजिनवाणीसंग्रह, पृष्ठ ४६६ । -
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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