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नहीं कर पाता । एवणाजन्य उपासना जंन धर्म में विश्वाला को कोटि परिगणित की गई हूं इस प्रकार जैन पूजाकाव्य का मनोविज्ञान इस बात पर निर्भर करता है कि यहां देव का स्वरूप क्या है । पूजक का लक्ष्य क्यों है और पूजा का तंत्र कैसा है ? क्या, क्यों और कैसे सम्बन्धी सभी बातों के सम्यक समाधान के लिए ज्ञान वस्तुतः एक महत्वपूर्ण तत्व है। ज्ञान के fear fanta की स्थिति सामान्यतः निरर्थक ही है। इस प्रकार जैन पूजा का मनोवैज्ञानिक अध्ययन इन सभी बातों की स्पष्ट स्थिति का पुष्ट प्रतिपावन करता है ।