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ह-, सब (मेट कर्म महान ), (श्री शीतलनाथ जिन पूजा, मनरंगलाल), (सब शोक सनो पूरे प्रसंग), (धी बनाम जिनपूबा,
-संहा, तिन्हे (सुरलेत तहां तननं तननं), (भी महापौरस्वामी पूजा, दावन ), ( तिन्हें भमत मंरिते सदा ), (श्री शांतिनाव बिनपूजा,
बावन) -इन, यह ( इन मादि अनेक उछाह भरी), (श्री महावीर स्वामी पूजा, बावन ), ( यह मावाणी भारती पड़े), (श्री क्षमावाणी
पूजा, मल्लजी) बीसवीं शती
में-मो, मेरे, मेरी ( अल्पबुद्धि मो जान के ) ( श्री तीस चोबीसी पूजा, रविमल ), ( मेरे न हुये ये मैं इनसे ) (श्री देवशास्त्र गुरुपूजा, युगल किशोर जैन 'युगल' ), (प्रमु मूख न मेरी शांत हुई), (श्री देव
साब गुरुपूजा, युगल किशोर जैन 'गुगल' ) हम-अपने, निम, हमारा ( अपने अपने में होती है), (श्री देवशास्त्र गुरु
पूजा, युगल किशोर जैन 'युगल' ), ( निज अन्तर का प्रमु भेव कहूं) . (श्री देवशास्त्र गुरुपूजा, युगल किशोर जैन 'युगल' ), ( निज लोक हमारा बासा हो ) ( श्री देवशास्त्र गुरुपूजा, युगल किशोर जैन,
'युगल') तू-तेरा, ता, तेरी ( नित ध्यान ध प्रभु तेरा), (भी मेमिनाथ जिनपूजा
विनेश्वरवास), (ता बरवाजे पर द्वारपाल), (भी सोनागिरि सिरमेवपूजा, आशाराम), (तेरी अन्तर लो) (भी देवशास्त्रगुरुपूजा,
युगल किशोर जैन 'युगल') तुम-माप ( आप पधारो निकट ), (श्री देवशास्त्र मुल्यूमा, जिलाल) बह-सब, जे ( सब कुछ जड़ को कोसा है), (श्री देवगास्त्र गुरुपूना,
युगलकिशोर जन, 'युगल' ), (जे शुद्ध सगुण अवगाह पाय ), (भी
अकृत्रिम बस्यालय पूजा, रविमल) बे-तहां (तहां चौबीसी तीन विराजे ), (श्री तीस चौबीसी पूजा, रबिमल ) -स, यह, या, इन ( इस संसार भ्रमणते ), (श्री तीस चौबीसी पूजा, रविमल), (यह बचन हिये मे), (भी तीस चौबीसी पूजा, रविनल),