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प्रयुक्त शब्द
दानी
समजसरन
उन्नीसवीं शती
इन्द्रानी
भान
कल्यान
कामचान
मनधर
तोरन
ान
पानि
( २४२ )
मूल शब्द
पाणी
समवशरण
इन्द्राणी
श्रावण
कल्याण
कामवाण
गणधर
तोरण
प्राण
पाणि
पूजा पंक्ति जिनवर बानी'
शुभ समवसरन शोभा
इन्द्रानोजाय'
भवन सुबि
मोक्ष कल्यान *
कामवान निरवा
गनधर असनिधर
तोरन घने
सबके प्रान हो जोरिजुग पानि "
१. श्री सरस्वती पूजा, द्यानतराय संगृहीतग्रन्थ- राजेश नित्य पूजापाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १६७६, पृष्ठ ३७५ । २. श्री अथ देवशास्त्र गुरुपूजा भाषा, द्यानतराय, संगृहीतग्रन्थ- जैन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, न० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ २० ।
३. शांतिनाथ जिनपूजा, वृन्दावन,
संगृहीतग्रन्थ- राजेश नित्य पूजापाठ
संग्रह, राजेन्द्र मेटिज वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १६७६, पृष्ठ ११५ । ४. श्री पंचकल्वाणक पूजापाठ, कमलनयन, हस्तलिखित ।
५. श्री नेमिनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, संगृहीतग्रंथ - ज्ञानपीठ पूजांजलि, weisयाप्रसाद गोपलीय, मंत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस, १९५७, पृष्ठ ३६८ ।
६. श्री पंचकल्याणक पूजापाठ, कमलनयन, हस्तलिखित |
७. श्री महावीर स्वामी पूजा, वृन्दावन, संगृहीतग्रंथ --- राजेश नित्य पूजापाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल बक्सं हरिनगर, अलीगढ़, १९७६, पृष्ठ १३६ ।
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८. श्री पंचकल्याण पूजापाठ, कमलनयन, हस्तलिखित ।
६. श्री सम्मेद शिखर पूजा, रामचन्द्र, सगृहीत - जैनपूजापाठ संग्रह, areचन्द्र पाटनी, नं० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १२७ ।
१०. श्री पंचकल्याणक पूजापाठ, कमलमयन, हस्तलिखित ।