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________________ ( २२५ ) के वृदावन को शांतिनाथ जिनयज्ञा' और श्री महावीर स पूजा' नामक पूजा काव्य कृतियों में परिलक्षित है। इस शती के कवि समरंग लाल', रामचन्द्र और कमलनयन' की पूजा रचनाओं में मतबबन्द चूत उल्लिखित है । atest mit के कु जिलाल ने 'श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा' नामक काव्य कृति में इस वृत को भलीभाँति अपनाया है ।" शांतरस की अभिव्यक्ति में १६ वीं शती के कवि 'बावन को दू काव्यकृतियों में प्रचुरता के साथ यह वृत प्रयुक्त है । मोतियदाम atfarera affe छन्दों में समबूत का एक भेद है।" हिन्दी काव्य में १. या भव कानन में चतुरानन, पाप पनानन घेरि हमेरी । आतम जान न मान न ठानन, वानन हो न दई सठ मेरी ॥ ता मद भामन आपहि हो यह, छान न आनन आमन टेरी । आन गही शरनागत को, अब श्रीपति जी पत राखहु मेरी ॥ - श्री शांतिनाथ जिनपूजा, वृन्दावन, संगृहीत ग्रन्थ - राजेश नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मैटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, संस्करण १६७६, पृष्ठ ११० । २. श्री महावीर स्वामी पूजा, वृन्दावन, संगृहीतग्रन्थ - राजेश नित्य पूजापाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिमगर, अलीगढ़, १९७६, पृष्ठ १३२ । ३. श्री नेमिनाथ जिनपूजा, मनरगलाल, संगृहीतग्रंथ - ज्ञानपीठ पूजांजलि, अयोध्याप्रसाद गोयलीय, मंत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस प्रथम संस्करण, १६५७ ई०, पृष्ठ ३६५ । ४. श्री गिरिनार सिद्धक्षेत्र पूजा, रामचन्द्र, संगृहीतग्रंथ --जैन पूजापाठसंग्रह, भागचन्द्र पाटनी, नं० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १४१ । ५. श्री पंचकल्याणक पूजापाठ, कमलनयन, हस्तलिखित । ६. श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा, कुँ जिलाल संग्रहीत ग्रंथ - नित्य नियम विशेष पूजन संग्रह, सम्पा० व प्रकाशिका - प्र० पतासीबाई जैन, गया (बिहार), संस्करण २४८७, पृष्ठ ४० । ७: हिन्दी साहित्य कोश, प्रथम भाग, सम्पा० धीरेन्द्र वर्मा आदि ज्ञान मण्डल लिमिटेड, बनारस, संस्करण संवत् २०१५, पृष्ठ २०६
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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