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________________ ( २१७ ) हीराचं', नेम', रघुसुत', बीपचंद, पूरणमल', भगवानदास, और मुन्नालाल' कवियों की पूजा रचनाओं में इस छंद के अभिवान होते हैं। अठारहवीं शती के कवि बानतराय विरचित पूजाकाव्यों में वोहा छंद का सर्वाधिक प्रयोग परिलक्षित है जिसमें भक्त्यात्मक अभिव्यंजना में शांतरस का उद्रेक हुआ है। सोरठा मात्रिक असम छंदों का एक भेद सोरठा है। अपभ्रंश के आचार्यकवि स्वयंम तथा पुष्पदन्त ने भी सोरठे छंद को अपनाया है। हिन्दी १. श्री चतुर्विशति तीर्थ कर समुच्चय पूजा, हीराचन्द, सगृहीतग्रंथ-नित्य नियम विशेष पूजन संग्रह, सम्पा० व प्रकाशिका-ब पतासीवाई जैन, गया (विहार), पृष्ठ ७१ । २ श्री अकृत्रिम चैत्यालय, पूजा, नेम, सगहीत अथ-जन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, न. ६२. नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ २५१ । श्री विष्णुकुमार महामुनि पूजा, रघुसुत, संगहीतग्रन्थ-राजेश नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, सस्करण १६७६, पृष्ठ ३६७ । ४. श्री बाहुबलि पूजा, दीपचन्द, सगृहीत ग्रंथ - नित्यनियम विशेष पूजन संग्रह सम्पा० व प्रकाशिका-७० पतासीबाई जैन, गया (बिहार), संस्करण २४८७, पृष्ठ ११३ । ५. श्री चादनपुर स्वामी पूजा, पूरणमल, सगृहीत ग्रंथ-जैन पूजापाठ संग्रह भागचन्द पाटनी, नं० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १५६ । ६. श्री तत्वार्थसूत्र पूजा, भगवानदास, संग्रहीतग्रंथ-जन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, नं० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता -७, पृष्ठ ४१० । ७. श्री खण्डगिरि क्षेत्र पूजा, मुन्नालाल, संगृहीतग्रंथ-जैन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, नं० ६२, नलिनी सेठ रोड कलकत्ता-७, पृष्ठ १५५ । ८. हिन्दी साहित्य कोश, प्रथम भाग, सम्पा० धीरेन्द्र वर्मा आदि, ज्ञानमण्डल लिमिटेड, बनारस, संस्करण संवत् २०१५, पृष्ठ ८६३ । ६. सूर साहित्य का छदशास्त्रीय अध्ययन, डा० श्री गौरीशंकर मिश्र 'द्विजेन्द्र', परिमल प्रकाशन, १९४, सोहबतिया बाय, इलाहाबाद-६, संस्करण १६६६ ईसवी, पृष्ठ ३३५ ।
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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