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कमलनयन' और महल जी कवियों ने अपनी पूजा-कास्य-कृतियों में इस छंद का व्यवहार सफलता पूर्वक किया है।
बीसवीं शती के कविवर रविमल', सेवक , भविलालबू, मित्रपवरवास', दौलतराम, जिलाल, हेमराज, आशाराम,
१. गर्भ स्थिति जिनपूजि करि बहुरि सारदा माय ।
ता पीछे मुनिराज के, चरनकमल चित लाय ॥
-~श्री पंचकल्याणक पूजा पाठ, कमलनयन, हस्तलिखित । २. श्री क्षमावाणी पूजा, मल्लजी, मंगृहीतग्रथ-ज्ञानपीठ पूजांजलि, अयोध्या
प्रसाद गोयलीय, मनी, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस, प्रथम
संस्करण १६५७ ई०, पृष्ठ ४०२ । ३ श्री तोस चौबीसी पूजा, रविमल, सगृहीतग्रय-जन-पूजा-पाठ संग्रह,
भागचन्द्र पाटनी, नं०६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७ पृष्ठ २४५ । ४. श्री आदिनाथ जिनपूजा, सेवक, संगृहीतग्रंथ जैन पूजापाठ संग्रह,
भागचन्द्र पाटनी, न० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७ पृष्ठ ६५ । ५. श्री सिद्धपूजा भाषा, भविलालजू, संगृहीत ग्रंथ-राजेश नित्य पूजापाठ
साग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्म, हरिनगर, अलीगढ़, सस्करण १६७६,
पृष्ठ ७१ । ६. श्री नेमिनाथ जिनपूजा, जिनेश्वरदास, संगहीत ग्रंथ-जन पूजापाठ सग्रह,
भागचन्द्र पाटनी, नं. ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १११ । श्री चम्पापुर क्षेत्र पूजा, दौलतराम, मंगृहीतग्रंथ-जैन पूजापाठ सग्रह,
भागचन्द्र पाटनी, न० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १३८ । ८. श्री देवशास्त्र गुरु पूजा, कुजिलाल, संगृहीतग्रंथ-नित्य नियम विशेष
पूजन संग्रह, सम्पा० प्रकाशिका ७० पतासीबाई जैन, गया (बिहार),
पृष्ठ ११३। ६. चहुं गति दुःख सागर विर्ष, तारन तरन जिहाज ।
रतनत्रय निधि नगन तन, धन्य महा मुनिराज ॥ -श्री गुरुपूजा, हेमराज, संगृहीतमय-बृहजिनवाणी संग्रह, सम्पा० व रचयिता स्व. पन्नालाल वाकलीवाल, मदनगज, किशनगढ़, सितम्बर १६५६, पृष्ठ ३०६ । श्री सोनागिरि सिद्ध क्षेत्र पूजा, आशाराम, संगृहीतग्रंथ-जनपूजा पाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, नं० ६२, नलिनी सेठ रोड , कलकत्ता-७, पृष्ठ १५०।