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________________ =) भक्ति, विधि-विधान, भावपूजा, द्रव्यपूजा, जैसे पक्षों का बहुत ही सुन्दर विश्लेषण प्रस्तुत किया है तथा पूजा साहित्य की रसयोजना, प्रकृति-चित्रण, अलंकारयोजना, छंदोयोजना, प्रतीक योजना, भाषा, मनोविज्ञान, संस्कृति, नगरवर्णन, वेशभूषा, आभूषण एवं सौन्दर्य प्रसाधन, वाद्ययंत्र जैसे विषयों का जो वर्णन इन जैन पूजाओं में मिलता है उन सबका सविस्तार अध्ययन प्रस्तुत करके जैनपूजा साहित्य को काव्य की धरातल पर ला बिठाया है । डॉ० आदित्य प्रचण्डिया के अनुसार जैन हिन्दी पूजाएं सभी दृष्टियों से उल्लेखनीय हैं। वे धार्मिक साहित्य के साथ-साथ लोबिक वर्णन से भी ओतउप्रोत हैं। डॉ० आदित्य प्रचण्डिया ने स्वीकारा है कि पूजा काव्यों में यद्यपि शांत रस का परिपाक हुआ है लेकिन उनमे शोभा शृंगार, उत्साह-वीर एवं करुण रस के अभिदर्शन होते हैं । जैन पूजा साहित्य की भाषा आलंकारिक होती है । शब्दालंकार एव अर्थालंकार दोनो से ही वे ओतप्रोत हैं। डॉ० आदित्य ने इन अलंकारों से युक्त पद्यों का सविस्तार वर्णन किया है। छदशास्त्र की दृष्टि से भी इन पूजाओं में महत्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध होती है । वास्तव में जैन कवियों ने इन पूजाओं में विविध छन्दों का प्रयोग किया है तथा उसे वर्णत: गेय बना दिया है । भाषागत अध्ययन के लिए हिन्दी जैन पूजाएं किसी भी शोधार्थी के लिए महत्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध कराती हैं। पूजा साहित्य की भाषा अपने समय की समस्त भाषाओं, विभाषाओं एवं बोलियों के मधुर सम्मिश्रण से प्रभावी रही है। डॉ० आदित्य प्रचण्डिया ने इन सबका विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत किया है जिससे उनका यह शोधप्रबन्ध बहुत ही उपयोगी बन गया है। गत तीन शताब्दियों में विभिन्न क्रियापदों की मात्रा किस प्रकार आगे बढ़ती रही इसका जैन पूजायें मनोविज्ञान के गुण से भी करते समय एक भिन्न प्रकार का मनोउसमें विभिन्न अवस्थाओं के भाव भर भी उन्होंने अच्छा अध्ययन किया है। बोनप्रोत है तथा पूजक को पूजा वैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है और वे देती हैं। डॉ० मादित्य प्रचण्डिया डॉ० महेन्द्र सागर प्रचण्डिया के सुपुत्र हैं। डॉ० महेन्द्र सागर जी समाज एवं साहित्यिक जगत में अपने चिन्तन, मनन एवं सेजन के लिए ख्याति प्राप्त विद्वान हैं और वे ही गुण डॉ० जावित्य में वर
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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